Get all your news in one place.
100’s of premium titles.
One app.
Start reading
Newslaundry
Newslaundry
अवधेश कुमार

म्यांमार में फंसे भारतीय युवकों की दास्तान: 'कल तक रुपयों की व्यवस्था नहीं हुई तो ये मेरी आखिरी कॉल समझना'

बीते कुछ सालों में मानव तस्करी देश ही नहीं दुनिया के लिए बड़ा सिरदर्द बन गया है. तस्करी से जुड़े अलग-अलग तरीकों के मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे ही एक ताजा मामले में कुछ युवाओं को नौकरी के लिए थाईलैंड बुलाया गया. उसके बाद उन्हें बंधक बनाकर उनके घरवालों को फोन कर फिरौती मांगी जा रही है.

दरअसल, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज निवासी जेया पंजतन और बाराबंकी के मोहम्मद आरिफ पिछले कई सालों से दुबई में रहकर नौकरी कर रहे थे. कुछ महीने पहले ही दोनों की स्थाई नौकरी छूट गई थी. इसके चलते वह किसी नई नौकरी की तलाश में लगातार इंटरव्यू और ऑनलाइन नौकरियां खोज रहे थे. 

इस बीच इन्हें एक चाइनीज कंपनी ने अपने यहां नौकरी करने का ऑफर दिया. नौकरी थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में मिली थी. यह दोनों लोग दुबई से हैदराबाद और फिर वहां से दूसरी फ्लाइट के जरिए थाईलैंड पहुंचे. इन दोनों के साथ तीन अन्य लोग भी थे, इनमें एक महिला भी शामिल है. महिला समेत दो अन्य युवा कौन हैं? भारत के किस हिस्से के हैं? अभी यह जानकारी सामने नहीं आई है. 

जेया और आरिफ के परिजनों का कहना है कि बच्चों को बैंकॉक से कार के जरिए म्यांमार ले जाया गया है. जहां उन्हें बंधक बनाकर रखा गया है. बच्चों को छोड़ने के बदले फोन पर फिरौती मांगी जा रही है. 

थाइलैंड स्थित भारतीय दूतावास ने क्या कहा

इस बारे में थाईलैंड स्थित भारतीय दूतावास से जुड़े शख्स कहते हैं कि सीधे तौर पर उनके पास इन लोगों की कोई जानकारी नहीं है. जो भी है, वो इनके परिवार से मिली है. परिवारों की ओर से ही पता चला है कि ये म्यांमार में हैं. म्यांमार में इसकी सूचना दे दी गई है.

क्या थाईलैंड से म्यांमार जाना इतना आसान है? क्या बॉर्डर पर किसी तरह की कोई रुकावट, पूछताछ या जांच पड़ताल नहीं होती है? इस सवाल पर वे कहते हैं कि जैसे भारत में कुछ पोरस बॉर्डर हैं वैसे ही यहां पर भी कुछ पोरस बॉर्डर हैं. इसके जरिए वे जंगल के रास्तों से कार लेकर निकल जाते हैं. 

वह आगे बताते हैं कि यहां इस तरह के मामले अक्सर आते रहते हैं. इसके लिए सरकारें एक- दूसरे से बातचीत भी करती रहती हैं. संबंधित मंत्रालय इस तरह की एडवाइजरी अपनी वेबसाइट पर भी जारी करता है. साफ-साफ कहा गया है कि नौकरी पर आने से पहले पुख्ता तौर पर तफ्तीश करें लेकिन फिर भी लोग चले आते हैं. जबकि कोई भी कंपनी किसी को नौकरी देगी तो वह पूरी औपचारिकता के तहत वीजा देकर करेगी, लेकिन ये लोग बिना जांच पड़ताल किए चले आते हैं. 

वे आगे कहते हैं कि ये म्यावड्डी का इलाका है. जो कि यहां से करीब 500 किलोमीटर की दूरी पर है. ये इलाका विवादित जमीन पर बसा है. ये थाईलैंड और म्यांमार की सीमा से लगा है, लेकिन यह चाइना के प्रभाव वाला इलाका है. 

जेया पंजतन  

31 वर्षीय जेया पंजतन मूल रूप से दरियाबाद, प्रयागराज के रहने वाले हैं. जेया पंजतन की बहन कनीज पंजतन बताती हैं कि जेया पिछले तीन सालों से दुबाई में नौकरी कर रहे थे. वे दुबई के सीबीडी (कमर्शियल बैंक ऑफ़ दुबई) बैंक में कार्यरत थे. लेकिन करीब तीन-चार महीने पहले उनकी नौकरी चली गई, जिसके चलते वह लगातार इंटरव्यू दे रहे थे. इसी बीच वो इस ट्रैप में फंस गए. जेया आखिरी बार मार्च 2023 में एक महीने के लिए घर आए थे. 

फोन पर बताया चीनी कंपनी से ऑफर है थाईलैंड में 

कनीज पंजतन ने बताया कि उन्हें 10 जुलाई को फोन आया था. तब जेया ने कहा था कि चाइनीज कंपनी से जॉब का ऑफर है. उसके लिए थाईलैंड जा रहा है. इसके लिए वह पहले हैदराबाद आए और वहां से दूसरी फ्लाइट से थाईलैंड पहुंचे. 

दुबई से हैदराबाद पहुंचकर भी जेया ने अपने परिजनों को फोन किया था. तब वह काफी खुश नजर आ रहा था. परिजनों से कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है. उनके साथ और भी लोग हैं. तब उन्होंने एक महिला समेत अन्य लोगों से बात भी कराई थी. जिसमें सब कहते हैं कि हां हम भी साथ हैं.

दुबई से वाया हैदराबाद क्यों? दुबई से सीधे थाईलैंड क्यों नहीं गए? इस पर कनीज कहती हैं कि कंपनी ने उन्हें इसी रूट से बुलाया था. उन्हें जेया ने बताया था कि भारत से जाने पर उन्हें वहां कोई परेशानी नहीं होगी. दुबई से जाने पर अलग नियम हैं, इसलिए वह हैदराबाद से दूसरी फ्लाइट लेकर थाईलैंड पहुंचे.

वह आगे कहती हैं कि थाईलैंड पहुंचकर भी जेया ने उन्हें कॉल किया था. तब वह होटल में ठहरे थे. 11 जुलाई को वह बैंकॉक रुकने के बाद 12 की सुबह करीब 7-8 बजे उन्हें कार से कंपनी कहकर ले गए थे. दिन भर सफर करने के बाद वह देर शाम दूसरी लोकेशन पर पहुंचे. 

कनीज की 13 तारीख को फिर से बात हुई. तब उनसे कहा था कि पता नहीं कहां पर हैं, लेकिन जहां कल थे वहां से कहीं दूर आ गए हैं. इसके बाद आठ दिन तक जेया से कोई संपर्क नहीं हो सका. फोन स्विच ऑफ हो गया और सोशल मीडिया पर भी किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई दी.

मांगी 22 लाख की फिरौती

कनीज आगे बताती हैं कि इसके बाद सीधे 22 जुलाई की देर शाम फिर से जेया का फोन आया. जेया ने कहा कि वह फंस गया है. 22 लाख रुपये भेजने होंगे. तभी शायद बच पाए. उन्हें बंधक बनाकर रखा गया है. रुपये देने के बाद भी जरूरी नहीं है कि वो इन लोगों के चंगुल से निकल सकें. जेया ने बहन को बताया कि उन्हें शायद म्यांमार के किसी इलाके में बंधक बनाकर रखा गया है. 

जेया के परिजनों ने हमें एक ऑडियो क्लिप भेजी है, जिसमें एक महिला रुपयों की डिमांड करती हुई सुनी जा सकती है. यह ऑडियो क्लिप 23 जुलाई की है.

किडनैपर महिला ने फोन पर क्या कहा 

न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद 23 जुलाई की ऑडियो क्लिप में महिला एक लाख रुपये की डिमांड कर रही है. महिला का कहना है कि एक लाख रुपये की कंपनी की पेनल्टी देनी होगी. ये कंपनी की पॉलिसी है. उसके बाद जेया को छोड़ देंगे. लेकिन यह रुपये तुरंत देने होंगे. रुपये नहीं देंगे तो जेया कहीं और चला जाएगा. इस दौरान जेया के परिजन 10 हजार रुपये देने की बात कहते हैं तो वह मना कर देती है. फिर वह 20-25 हजार को कहते हैं वह तब भी वह मना कर देती है.    

लंबी बात के बाद महिला कहती है कि एक घंटे के भीतर आधे यानी 50 हजार रुपये भेजो तो वह जेया को बचा सकती है. नहीं तो फिर उसे कहीं और किसी कंपनी में भेज दिया जाएगा. अगर वह कहीं और गया तो फिर और ज्यादा पैसे देने होंगे. दूसरी जगह इसको मारेंगे और टॉर्चर करेंगे.

इस दौरान परिजन जेया से बात करने को कहते हैं लेकिन महिला जेया से बात कराने को मना कर देती है. परिवार महिला से अपनी गरीबी और जेया की मां के बीमार होने की बात करता है लेकिन वह महिला उनकी एक नहीं सुनती.

जेया के भाई वकार पंजतन कहते हैं कि उन्होंने इस बाबत भारत, थाईलैंड और म्यांमार के दूतावास से संपर्क किया है. तीनों दूतावास ने सहयोग करने की बात कही है.

24 और 25 जुलाई को फिर आया फोन

जेया- कुछ हुआ इंतेजाम? 

परिवार- अगर घर में पैसा होता तो कमाने के लिए बाहर भेजते तुमको? देखो क्या होता है, दुआ करो बस, तुम निकल आओ किसी तरह, समझ रहे हो. 

जेया- हम समझ रहे हैं लेकिन हमारी बात भी समझो ऐसा नहीं हो सकता, फिर ये समझ लो आखरी बात हो रही है हमारी.

परिवार- पागल हो.. आखरी क्यों? 

जेया- अगर कुछ भी नहीं देंगे तो ये लोग क्या करेंगे, ऐसे थोड़ी रखेंगे? दो ढाई लाख भी नहीं हैं? कल तक ढाई लाख की व्यवस्था करो.

परिवार- दो-ढाई लाख में मान जाएंगे? फिर छोड़ देंगे तुमको? ढाई लाख के बाद कितना देना होगा?

जेया- 20 लाख में से ढाई कम कर दो. लेंगे तो 20 ही.

जेया आखिरी में कहते हैं कि उनका फोन जब्त हो जाता है, जितना जल्दी हो इंतजाम कर दीजिए. अब हम कॉल करेंगे तो बात करने के लिए नहीं सिर्फ रुपये ट्रांसफर करने के लिए करेंगे.

25 जुलाई को म्यांमार में होने की पुष्टि

25 जुलाई को जेया के परिवार ने उससे उर्दू में बात की. जिससे उन्होंने उसकी लोकेशन कंफर्म की. परिवार ने उर्दू में मीम, ये, अलिफ़, मीम, अलिफ़ और रे शब्दों का इस्तेमाल कर कहा कि ये ठीक है. दरअसल, उन शब्दों का अर्थ म्यांमार हैं. इसके बाद उधर से जेया ने भी कहा कि हां ये ठीक है. यानि परिवार ने इस बातचीत में एक बार फिर कंफर्म किया कि क्या वो म्यांमार में ही है.

वहीं, जेया के पिता आले पंजतन स्थानीय थाने अतरसुइया के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है. उल्लेखनीय है कि जिस थाने में एफआईआर दर्ज नहीं हो रही है, वहां जेया के पिता 10 साल कॉन्स्टेबल के पद पर नौकरी कर चुके हैं. वहीं, से रिटायर हुए हैं. 

वकार कहते हैं कि थाने वालों ने सीओ के पास भेज दिया और सीओ ने डीएम के पास भेज दिया. डीएम मिली नहीं तो ऐसे ही पुलिस के इधर से उधर चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है. 

मोहम्मद आरिफ भी नौकरी के झांसे में फंसे

29 वर्षीय मोहम्मद आरिफ पिछले करीब 7-8 साल से दुबई की किसी कंपनी में अकाउंट का काम देख रहे थे. कुछ महीनों पहले इनकी नौकरी भी चली गई थी. इस बीच ये फ्रीलांस काम कर रहे थे यानि जहां जो मिल गया.

मूल रूप से केन्हौरा अलियाबाद, जिला बाराबंकी के रहने वाले आरिफ भी जेया पंजतन के साथ ही झांसे में आ गए. अब इनके परिजनों को फोन करके 20 लाख रुपये की फिरौती मांगी जा रही है. 

आरिफ के भाई मोहम्मद नासिर न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं कि इंटरव्यू क्लियर होने के बाद चाइनीज कंपनी ने इन्हें फ्लाइट के टिकट भेजे थे. कंपनी के खर्चे पर ही ये थाईलैंड गए थे. कंपनी से आरिफ को मेहनताने के तौर पर एक हजार दो सौ यूएस डॉलर ऑफर हुए थे.

नासिर कहते हैं कि आरिफ से उनकी बात 13 जुलाई को रात 10-11 के बीच हुई थी. इस दौरान उसने सब ठीक होने की बात कही. लेकिन इसके बाद किसी तरह का कोई संपर्क नहीं हुआ. 

इसके 9 दिनों के बाद सीधे 22 जुलाई को उसका फोन आया. जिसमें आरिफ ने नासिर को कहा कि वह फंस गया है और उसे जल्दी से निकाल लें.

नासिर के मुताबिक, किडनैपर ने उनसे 20 लाख रुपये की फिरौती मांगी है.

23 तारीख को दोबारा आए फोन पर आरिफ ने फिर परिवार से रुपयों का इंतजाम करने की बात कही. वह अपनी बड़ी बहन से बात करते हुए कहते हैं, “अप्पी जल्दी पैसों का इंतजाम कर दो. कल तक दो लाख रुपये भेज दो. इस पर बहन कहती है कि हम लोगों से कर्जा मांग रहे हैं, घर भी बेच देंगे और जल्दी ही पैसों का इंतजाम कर रुपये भेज देंगे. इस पर आरिफ कहते हैं कि यह लोग बिल्कुल भी टाइम नहीं दे रहे हैं, दो लाख रुपये तैयार रखना मैं कल अकाउंट नंबर भेज दूंगा.” 

बहन कहती है, “पैसे देने के बाद छोड़ तो देंगे न फिर फंसाएंगे तो नहीं? इस पर आरिफ कहते हैं, “हां पासपोर्ट और सब कुछ दे देंगे, कानूनी तरीके से एयरपोर्ट पर छोड़ेंगे, जो लोग पैसे देते हैं, ये उन्हें छोड़ देते हैं, जो नहीं देते हैं उनको मारते हैं.”

आरिफ यह भी कहते हैं कि काम बताया कुछ था और अब यहां कुछ उल्टी सीधी वीडियो में काम करा रहे हैं. वह आखिरी में कहते हैं कि खाना दे रहे हैं, बस दुआ करो. आरिफ यहां अपनी उंगलियां तोड़े जाने का भी जिक्र करते हैं.  

23 जुलाई को हुई इस पूरी बातचीत की ऑडियो क्लिप न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद है.

इससे पहले 22 तारीख को आए फोन पर आरिफ ने परिजनों को बताया था कि उसके साथ यहां मारपीट की जा रही है. टॉर्चर किया जा रहा है, जितना जल्दी हो रुपये भेजकर उसे बचा लें. साथ ही यह भी कहा कि पैसा दे देंगे तब भी पता नहीं बच पाएंगे कि नहीं बच पाएंगे, ये लोग हमेशा हमारे पास ही खड़े रहते हैं. बहुत ज्यादा मारपीट कर रहे हैं. 

आरिफ के परिजनों द्वारा पुलिस में की गई शिकायत.

नासिर बताते हैं कि इस बारे में हमने स्थानीय थाने को सूचित कर दिया है. हालांकि, अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है.

सरकार ने दिया मदद का आश्वासन 

फिलहाल परिजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारत सरकार और विदेश मंत्रालय से मामले में कार्रवाई की गुहार लगा रहे हैं. जेया के परिवार ने विदेश मंत्रालय से लेकर एनआईए तक सभी को ई-मेल किया है.

म्यांमार स्थित दूतावास से मेल के जरिए मांगी मदद.
म्यांमार दूतावास का जवाब, जसमें पीड़ित परिवार को मदद का भरोसा दिया गया है.

म्यामांर के भारतीय दूतावास ने मेल के जरिए सख्ती से कार्रवाई की बात कही है. साथ ही पीड़ित परिवार से संबंधित दस्तावेज मांगे हैं. मेल में यह भी जिक्र किया गया है कि ज़्यादातर म्यावड्डी इलाका, जहां से स्कैम होते हैं, वह म्यांमार अधिकारियों के कंट्रोल से बाहर है और म्यांमार के सशस्त्र गिरोह के नियंत्रण में है. जो स्कैम गतिविधियों में शामिल आपराधिक नेटवर्क को पनाह दे रहे हैं. केस में आगे के जानकारी दी जाती रहेंगी.   

इससे पहले साल 2022 में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था. जहां 300 से ज्यादा भारतीयों को बंधक बना लिया गया था. हाल ही में बिम्सटेक सम्मेलन में भी विदेश मंत्री जयशंकर ने भारतीयों को बंधक बनाए जाने का मामला म्यांमार के विदेशमंत्री के समक्ष उठाया था.

इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

मीडिया के बारे में शिकायत करना आसान है, क्या आप इसे बेहतर बनाने के लिए कुछ करते हैं? आज ही न्यूज़लॉन्ड्री की सदस्यता लें और स्वतंत्र मीडिया का समर्थन करें.

Newslaundry is a reader-supported, ad-free, independent news outlet based out of New Delhi. Support their journalism, here.

Sign up to read this article
Read news from 100’s of titles, curated specifically for you.
Already a member? Sign in here
Related Stories
Top stories on inkl right now
One subscription that gives you access to news from hundreds of sites
Already a member? Sign in here
Our Picks
Fourteen days free
Download the app
One app. One membership.
100+ trusted global sources.