भारतीय क्रिकेट टीम के विस्फोटक बल्लेबाज रहे यूसुफ पठान सांसद बनने के साथ ही मुश्किलों में घिरते दिख रहे हैं. उन्हें वडोदरा महानगर पालिका (वीएमसी) द्वारा एक नोटिस जारी किया गया है. यह एक जमीन पर कब्जे से संबंधित है. पठान अपने छोटे भाई, पूर्व भारतीय क्रिकेटर इरफान पठान और परिवार के साथ वडोदरा में ही रहते हैं.
हाल ही में यूसुफ पठान पश्चिम बंगाल के बहरामपुर से तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर सांसद निर्वाचित हुए हैं. उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता अधीर रंजन चौधरी को यहां से मात दी है. जबकि बीजेपी के उम्मीदवार निर्मल कुमार साहा तीसरे नंबर पर रहे.
चार जून को आए नतीजों के दो दिन बाद वडोदरा महानगर पालिका के कमिश्नर दिलीप कुमार राणा द्वारा इन्हें एक नोटिस जारी किया गया. नोटिस का विषय है- वडोदरा महानगर पालिका के मालिकाना वाले जमीन टीपी संख्या 22, प्लॉट संख्या 90 में किए गए अवैध कब्जा हटाने के संबंध में. नोटिस में साल 2014 के एक पत्र का भी जिक्र किया गया है.
वीएमसी द्वारा पत्र जारी करने के बाद भी सब कुछ शांत था, लेकिन इसी बीच 11 जून को स्थानीय बीजेपी नेता और पूर्व में कॉर्पोरेटर रहे विजय पवार ने वीएमसी के स्थायी समिति और कमिश्नर को प्लॉट खाली कराने को लेकर पत्र लिखा. उसके बाद इस पर चर्चा शुरू हो गई.
न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए पवार कहते हैं, ‘‘मुझे नहीं पता था कि वीएमसी कमिश्नर ने यूसुफ पठान को नोटिस दिया है. मैंने अलग-अलग तीन जमीनों को लेकर शिकायत दी थी. इसी में पठान की भी है. मेरी उनसे कोई दुश्मनी नहीं है. पहले वो मेरे ही विस्तार (चुनावी क्षेत्र) में रहते थे. बाद में दूसरी जगह रहने चले गए. हमने तो साथ में क्रिकेट भी खेला है.’’
नोटिस की जड़ में क्या है?
यूसुफ पठान को नोटिस वीएमसी की जमीन पर कब्जा करने को लेकर दिया गया है. इसकी शुरुआत साल 2012 से होती है. दरअसल, पठान परिवार ने वडोदरा के वासना रोड इलाके में जमीन खरीदी थी. प्लाट का नंबर 91 है. इसी प्लाट के बगल में वीएमसी की 978 वर्ग मीटर जमीन भी है, जिसका नंबर 90 है. जब पठान परिवार यहां घर बनावा रहा था तब यूसुफ पठान ने वीएमसी से यह जमीन मांगी. इस जमीन की कीमत 57,200 रुपए वर्ग मीटर तय हुई थी. जो करीब साढ़े पांच करोड़ बनता था.
इसके बाद वीएमसी के कमिश्नर, अन्य अधिकारी, मेयर और कॉर्पोरेटर्स की बैठक हुई जिसमें यह जमीन पठान को देने का फैसला हुआ. यह 27 मार्च 2012 की बात है. न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद दस्तावेज के मुताबिक कमिश्नर द्वारा जारी पत्र में कहा गया कि 99 साल के लिए यह जमीन यूसुफ पठान को रेसिडेंशियल इस्तेमाल के लिए दी जा रही है.
इसके बाद फाइल राज्य सरकार को भेज दी गई.
दो साल बाद 18 जून, 2014 को शहरी विकास एवं शहरी गृह निर्माण विभाग, गांधीनगर के नायब सचिव अशोक सिंह परमार ने वडोदरा कमिश्नर को एक पत्र लिखा, जिसमें बताया गया कि नगर निगम ने जो जमीन यूसुफ पठान को दी है उसे नामंजूर किया जाता है.
इस बीच पठान का घर बन चुका था. वहीं नगर निगम वाली जमीन पर 20 फुट ऊंची बाउंड्री के साथ पक्का निर्माण कराया गया, जहां इस जमीन में पठान घोड़े रखते हैं. अब सवाल उठ रहे हैं कि 10 साल बाद अचानक से इस जमीन पर नज़र क्यों गई, क्यों नोटिस जारी हुआ, क्या इसका लेना देना यूसुफ पठान के चुनाव से है?
हमारी खोजबीन में दो बातें सामने आईं. एक हिस्सा उन लोगों का है जो मानते हैं कि इस नोटिस के पीछे राजनीति है. अगर ऐसा नहीं है तो 10 सालों तक इस पर वीएमसी चुप क्यों रहा?
दूसरी तरफ बीजेपी नेता पवार हैं, वो कहते हैं, ‘‘वो किसी पार्टी से सासंद बने हैं, इसलिए हमने शिकायत दी ऐसा नहीं है. राजनीति विचारधारा की लड़ाई है. नेता से पहले वो देश का नाम किए हैं. लेकिन नगर निगम की इतनी बड़ी जमीन पर उन्होंने अवैध कब्जा किया हुआ है यह गलत है. इसलिए मैंने पत्र लिखा है. इसके लिए हम सिर्फ पठान को दोषी नहीं मान रहे हैं, बल्कि इस बीच जितने भी निगम के कमिश्नर रहे हैं वो भी दोषी हैं.’’
वडोदरा नगर निगम से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि नोटिस की शुरुआत राजकोट त्रासदी के बाद शुरू हुई. 25 मई को राजकोट में गेम जोन में आग लगी थी. जिसमें 28 लोगों की मौत हो गई. इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने राजकोट नगर निगम को फटकार लगाई थी क्योंकि यह गेमिंग जोन फायर लाइसेंस के बिना चल रहा था.
इस घटना के बाद गुजरात के दूसरे नगर निगमों ने भी अपने क्षेत्र में फायर और अन्य इंतजाम को लेकर सख्ती बरतनी शुरू कर दी. साथ ही निगम के अंतर्गत आने वाली जमीनों पर कब्जे और रेहड़ी पटरी वालों को भी नोटिस दिया गया. इसी क्रम में पठान को भी नोटिस दिया गया है.
हमने वीएमसी के कमिश्नर दिलीप कुमार राणा के दफ्तर में फोन किया. जहां हमारी बात उनके पीए अमित थोराट से हुई. थोराट ने इस मामले को देख रहे अधिकारी विक्रम वसावा से बात करने को बोला. विक्रम ने फोन पर हमें ये कहकर टाल दिया कि किसी और अधिकारी से बात करें. कुल मिलाकर इस मामले में कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला है.
इस मामले पर वीएमसी की स्थायी समिति के अध्यक्ष शीतल मिस्त्री कहते हैं कि हमने पठान को कब्जा हटाने को लेकर नोटिस दिया है. उन्हें दो सप्ताह का वक़्त दिया गया है. अगर वो खाली नहीं करते हैं तो कानूनन आगे की कार्रवाई की जाएगी.
इस मामले में 10 साल बाद ही क्यों कार्रवाई हो रही है? इस पर मिस्त्री कहते हैं, ‘‘मैं पिछले नौ महीने से ही स्थायी समिति का अध्यक्ष बना हूं. हम हर जानकारी एकत्रित कर रहे हैं कि आखिर कार्रवाई क्यों नहीं हुई.’’
न्यूज़लॉन्ड्री ने इस सिलसिले में यूसुफ पठान का पक्ष जानने के लिए उनको फोन किया, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई. हमने उन्हें कुछ सवाल भेजे हैं. अगर जवाब आता है तो ख़बर में जोड़ दिया जाएगा.
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