एसबीआई द्वारा चुनावी बॉन्ड्स की जानकारी चुनाव आयोग को देने में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने अवमानना का केस दर्ज किया है. सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के द्वारा दी गई समय सीमा से दो दिन पहले एसबीआई ने न्यायालय के सामने काम की जटिलता का हवाला देते हुए समय पर जानकारी देने में असमर्थता जताई थी और 30 जून तक का समय मांगा था.
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को चुनावी बॉन्ड्स को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था, जिसके आदेश दिया ये सारी जानकारी 6 मार्च तक सार्वजनिक करे.
प्रशांत भूषण का यह कहना है कि न्यायालय ने यह फैसला इसलिए दिया था ताकि राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता लाई जा सके. साथ ही, उन्होंने कहा कि, यह जानकारी पाना संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(a) के तहत हर मतदाता का मूल अधिकार है.
भूषण मानते हैं कि एसबीआई के लिए जानकारी को चुनाव आयोग को देना इतना जटिल काम नहीं है कि उसमें इतना समय लगे. उन्होंने कहा कि बैंक की बहुत सारी शखाएं हैं, जिनकी वजह से काम और भी जल्दी पूरा किया जा सकता है. उन्होंने आरोप लगाया कि एसबीआई लोकसभा चुनाव से पहले जानकारी को उजागर नहीं होने देना चाहता है. इसलिए इस मामले की सुनवाई जल्दी हो. भूषण ने अदालत से अनुरोध किया कि उनके आवेदन को भी एसबीआई के आवेदन के साथ ही लिस्ट किया जाए. बता दें कि यहां लगभग 22,217 इलेक्टोरल बॉन्ड्स की जानकारी साझा की जानी है.
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