
सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को भारत में 152 साल पुराने राजद्रोह कानून पर रोक लगा दी. इस कानून के तहत महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और बाल गंगाधर तिलक को भी दोषी ठहराया गया था. आजादी के वक्त संविधान सभा में भी इस कानून को जारी रखने पर जमकर बहस हुई थी. बहरहाल, तब ये कानून किसी तरीके से बच गया, लेकिन आज़ाद देश में इस कानून की जरूरत पर विवाद जारी रहा. सारांश के इस एपिसोड में हम इस कानून के बारे में, इसके उपयोग-दुरुपयोग के बारे में, और इसके इस्तेमाल पर बार बार क्यों सवाल उठते रहे हैं, इस पर बात करेंगे.
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