17 दिनों तक उत्तराखंड की उत्तरकाशी सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने वाले रैट माइनर्स जब दिल्ली पहुंचे तो उनका क्षेत्रीय लोगों ने भव्य स्वागत किया. दिल्ली पहुंचने के बाद से ही उनके घर पर मीडिया और बधाई देने वालों का तांता लगा है.
दरअसल, सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए 12 मजदूरों की एक टीम ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया. इन 12 में से 6 दिल्ली के खजूरी खास इलाके में रहते हैं तो वहीं कुछ उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर समेत अलग जगहों पर रहते हैं. इनमें ज्यादातर मुस्लिम और दलित मज़दूर हैं.
मालूम हो कि जब 41 श्रमिकों को बचाने के लिए अमेरिका से आई ऑगर मशीन टूट गई तो पूरा देश निराशा से डूब गया था. उसके बाद इन्हीं रैट माइनर्स ने मशीन से आगे का काम किया और दिन-रात चूहे की तरह खुदाई कर करके 41 लोगों की जान बचाई. टनल के अनुभव को जानने के लिए हमने भी इनसे मुलाकात की.
ये लोग खजूरी खास इलाके की संकरी गलियों में रहते हैं. ये मजदूर बताते हैं कि जब इन्हें पहली बार सिलक्यारा सुरंग जाने का कॉल आया तो इन्होंने बिना देरी किए अन्य साथियों को इकट्ठा किया और उत्तरकाशी के लिए निकल गए. वे दुआ करते हैं कि पहले तो देश में अब ऐसा कोई हादसा न हो अगर कभी हुआ भी तो वे फिर से अपनी जान की बाजी लगा देंगे.
हालांकि, इन रैट माइनर्स की इच्छा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टनल में फंसे मजदूरों से तो बात कर ली लेकिन उनसे नहीं की. वे चाहते हैं कि पीएम मोदी या सीएम योगी इनसे मिलें और इनकी हौसला अफजाई करें.
इनके पूरे संघर्ष की कहानी को जानने के लिए ये पूरा वीडियो देखिए-
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