हर साल जब हवा खराब होने लगती है, वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का नंबर बढ़ने लगता है तो मीडिया वायु प्रदूषण को लेकर शोर मचाने लगता है. लेकिन जैसा ही एक्यूआई कुछ नीचे आता है तो ख़बरें धुंधली पड़ने लगती हैं. साथ ही उन लोगों की जवाबदेही कम होने लगती है जिन्हें इसका हल ढूंढना चाहिए.
लेकिन अब हम ऐसा नहीं होने देंगे. ‘हवा का हक’ की इस मुहिम के जरिए हम इस परंपरा को बदलने की कोशिश करेंगे. पाठकों, विशेषज्ञों और सब्सक्राइबर्स के सहयोग से हम लगातार इस मुद्दे पर जवाब मांगते रहेंगे. साथ ही हमारी कोशिश इस समस्या के मूल कारणों तक पहुंचने, सरकार द्वारा किए इंतजामों की पड़ताल करने और कार्रवाई योग्य समाधान ढूंढने की भी होगी. लेकिन यह सब तब होगा, जब आप भी इस मुहिम का हिस्सा बनेंगे.
इसका हिस्सा बनने के लिए आप चार आसान तरीकों में से एक चुन सकते हैं.
#1: सूचना का अधिकार यानि आरटीआई
सूचना पाने के अपने अधिकार का इस्तेमाल कीजिए. आप प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के कार्यालय समेत किसी भी सरकारी विभाग से सार्वजनिक हित से जुड़ी किसी भी चीज के बारे में पूछ सकते हैं. हमारा मानना है कि आप सरकारी अधिकारियों से जितने अधिक प्रश्न पूछेंगे आपको उतनी अधिक जानकारी मिलेगी कि वे इस संकट से निपटने के लिए क्या कर रहे हैं.
आरटीआई के लिए आवेदन के दो तरीके हैं. एक ऑफलाइन और दूसरा ऑनलाइन. हम आपको ऑनलाइन तरीके के बारे में बताते हैं. कैसे आप आसानी से वायु प्रदूषण के मुद्दे पर आरटीआई माध्यम से जवाबदेही तय करने में मदद कर सकते हैं.
पहला चरण: rtionline.gov.in पर जाएं और ‘सब्मिट रिक्वेस्ट’ पर क्लिक करें.
दूसरा चरण: स्क्रीन पर दिखाई देने वाले दिशानिर्देश को पढ़ने के बाद, नीचे दिए गए चेकबॉक्स पर टिक करें और ‘सब्मिट’ पर क्लिक करें.
तीसरा चरण: अपना व्यक्तिगत विवरण भरें और संबंधित विभाग का चयन करें. सुनिश्चित करें कि ओटीपी और अपडेट प्राप्त करने के लिए दिया गया फोन नंबर और ईमेल सही है.
चौथा चरण: प्रश्नों को ‘आरटीआई अनुरोध आवेदन के लिए शब्द’ बॉक्स में सावधानीपूर्वक लिखा जाना चाहिए. उन्हें स्पष्ट, संक्षिप्त और सार्वजनिक हित तक सीमित होना चाहिए. व्यक्तिगत प्रश्न तब तक नहीं पूछे जा सकते जब तक वे सार्वजनिक हित से जुड़े न हों. और यह समझें कि सुरक्षा से जुड़ी या खुफिया जानकारी आरटीआई के माध्यम से साझा नहीं की जा सकती है.
उदाहरण के तौर पर, यदि हम दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण में योगदान देने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की भूमिका को समझना चाहते हैं तो पहले ड्रॉप डाउन कॉलम में पर्यावरण मंत्रालय चुनने के बाद दूसरे ड्रॉप डाउन कॉलम में एनजीटी का चयन करें. प्रश्न कुछ इस प्रकार हो सकते हैं:
* कृपया बताएं कि 1 मार्च, 2019 से 30 नवंबर, 2024 तक दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने या पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए एनजीटी द्वारा कितनी कंपनियों/इकाइयों पर जुर्माना लगाया गया है.
* कृपया उन कंपनियों/इकाइयों के नाम साझा करें जिन पर …..(यहां समयसीमा भरें, जैसे 1 मार्च, 2022 से 31 मार्च, 2022) के दौरान जुर्माना लगाया गया है. साथ ही बताएं कि इस अवधि के दौरान इनमें से प्रत्येक कंपनी/इकाई पर कितना जुर्माना लगाया गया है.
* कृपया इनमें से प्रत्येक कंपनी या संस्था द्वारा किए गए प्रदूषण या पर्यावरण को क्षति पहुंचाने की प्रकृति के बारे में विवरण प्रदान करें, जिसके कारण जुर्माना लगाया गया.
या यदि आप यह पता लगाना चाहते हैं कि क्या पुलिस ने वास्तव में पटाखों पर प्रतिबंध लागू करने के लिए कोई कार्रवाई की है तो आप गृह मंत्रालय के तहत दिल्ली पुलिस का चयन करने के बाद इस तरह अपना प्रश्न पूछ सकते हैं.
* कृपया 30 अक्टूबर, 2024 से 2 नवंबर, 2024 तक पटाखे फोड़ने के लिए दिल्ली में दर्ज की गई एफआईआर की संख्या प्रदान करें. कृपया 30 अक्टूबर, 2024 से 2 नवंबर, 2024 तक प्रत्येक दिन दर्ज किए गए मामलों की संख्या प्रदान करें.
* कृपया इन मामलों में दंड और सजा का विवरण प्रदान करें. इनमें से कितने मामलों में जुर्माना लगाया गया? कितनों को कारावास हुआ? कितने मामलों में जुर्माना और कारावास दोनों हुए?
पांचवां चरण: सुरक्षा कोड यानि ओटीपी दर्ज करें, सब्मिट पर क्लिक करें और यूपीआई या किसी अन्य माध्यम से शुल्क के रूप में 10 रुपये का भुगतान करें. आपको 30 दिनों के भीतर विभाग की ओर से प्रतिक्रिया मिल जाएगी. अगर यह प्रतिक्रिया असंतोषजनक है तो निःशुल्क प्रथम अपील दायर करें और 45 दिनों के भीतर दूसरी प्रतिक्रिया प्राप्त करें. आप फिर दोबारा अपील भी दायर कर सकते हैं (प्रतिक्रिया के लिए 90 दिनों का समय होगा).
बीपीएल श्रेणी के लिए शुल्क में छूट है और इस तरह की प्रक्रिया राज्य सूचना आयोगों के लिए भी अपनाई जा सकती है. जिनकी अपनी वेबसाइट है (जैसे दिल्ली राज्य के लिए- https://rtionline.delhi.gov.in/).
और आधिकारिक प्रतिक्रिया subscription@newslaundry.com पर साझा करें.
#2: एक्यूआई के साथ पोस्ट
इसके लिए आप अपने नजदीकी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन से वायु गुणवत्ता सूचकांक के स्क्रीनशॉट के साथ #FightToBreathe या #हवा_का_हक हैशटैग का उपयोग करके हमारे कंटेंट को दोबारा पोस्ट कर सकते हैं. इस लिंक पर जाकर अपने राज्य और कस्बे के नजदीकी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन का पता लगाएं. यदि आपके आसपास कोई केंद्र नहीं है तो #FightToBreathe या #हवा_का_हक हैशटैग का उपयोग करके अपनी पोस्ट में इसे बताएं.
#3. आइडिया शेयरिंग
अगर आप इस विषय के विशेषज्ञ हैं या हमारी इस मुहिम को लेकर आपके पास कोई विचार, सुझाव या प्रतिक्रिया है तो हमें submissions@newslaundry.com पर लिखें. हमारी कोशिश रहेगी कि उस पर सकारात्मक कदम उठाएं.
#4: हमें मदद करें, हमारा हौसला बढ़ाएं
इस मुहिम के तहत न्यूज़लॉन्ड्री रिपोर्ट्स की एक श्रृंखला, वीडियोज़, पड़ताल, कार्टून, एक शो, विशेषज्ञ के साथ बातचीत आदि शुरू करेगा.
हमारे शो, आज का एक्यूआई, में रिपोर्टर्स किसी संस्था/कार्यालय या जवाबदेह हस्ती के आवास के बाहर खड़े होकर उस क्षेत्र विशेष में वायु गुणवत्ता के साथ-साथ संबंधित विभाग या अधिकारी द्वारा किए गए उपायों पर बात करेंगे.
विशेषज्ञों का एक पैनल, हमारी संपादकीय टीम को उन मुद्दों पर लगातार सलाह देगा, जो हमारी रिपोर्ट्स का महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए.
न्यूज़लॉन्ड्री की कार्टून श्रृंखला औघट घाट एक बार फिर से सत्ता पर तीखे व्यंग्यों के जरिए सवाल पूछने के लिए तैयार है.
ये दूसरी बार है जब हम किसी मुहिम की शुरुआत कर रहे हैं और आपसे इसका हिस्सा बनने की अपील कर रहे हैं. ऐसा क्यों है, जानने के लिए ये लेख पढ़िए. साथ ही इस मुहिम में मनचाही राशि के जरिए योगदान दीजिए और ‘हवा का हक़’ की इस मुहिम में शामिल होने लिए यहां क्लिक करें.
Newslaundry is a reader-supported, ad-free, independent news outlet based out of New Delhi. Support their journalism, here.