Get all your news in one place.
100’s of premium titles.
One app.
Start reading
Newslaundry
Newslaundry
अवधेश कुमार

दैनिक भास्कर ने फिर हटाई ख़बर, सीएम योगी के सूचना विभाग पर उठाए थे सवाल

दैनिक भास्कर समूह ने एक बार फिर अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म भास्कर डॉट कॉम से एक ख़बर को हटा लिया है. ख़बर को टेक्स्ट और वीडियो दोनों फॉर्मेट में प्रकाशित किया गया था, लेकिन प्रकाशित होने के करीब तीन घंटे बाद ही इसे हटा दिया गया. पाठक इस स्टोरी के लिंक पर जाते हैं तो उन्हें मायूसी से लौटना पड़ता है. अब सवाल उठ रहे हैं कि दैनिक भास्कर ने खबर क्यों हटा ली. न्यूज़लॉन्ड्री ने इसकी पड़ताल की है. 

इस रिपोर्ट में दैनिक भास्कर ने यूपी सूचना विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे. साथ ही पार्थ श्रीवास्तव सुसाइड केस से लेकर आईएएस शिशिर तक के करियर का वर्णन किया था. इस ख़बर का वीडियो और स्क्रीनशॉट न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद हैं.

हमने इस खबर की रिपोर्टर ममता त्रिपाठी से बात की. वह कहती हैं, "ये खबर मैंने शुक्रवार यानी 22 सिंतबर को दी थी, लेकिन पब्लिश शनिवार 23 सितंबर करीब 11:30 बजे हुई और फिर लगभग ढाई-तीन बजे हटा दी गई. खबर क्यों डिलीट की गई मुझे नहीं पता, जब ये स्टोरी डिलीट हो गई तब मुझे पता चला. स्टोरी लगी थी लेकिन ड्रोप क्यों हुई मुझे नहीं पता." 

वह आगे कहती हैं, "स्टोरी डिलीट होने के बाद लखनऊ से लेकर दिल्ली तक हल्ला है. कल पूरे दिन उद्योग भवन, विधान भवन, तमाम राजनीतिक गलियारों और अधिकारियों में इस बात की चर्चा रही कि खबर डिलीट हो गई. क्योंकि यह खबर काफी पढ़ी गई थी और फिर डिलीट कर ली गई. हमें भी खबर डिलीट होने का वहीं से पता चला. हमारा काम था खबर करना हमने कर दी.”

ममता आगे कहती हैं, “न मैंने कुछ पूछा है न ही मुझे कुछ बताया गया है. अब स्टोरी लगे न लगे क्या फर्क पड़ता है. मुझे 20 साल हो गए हैं नौकरी करते हुए. इसलिए अब इस सब की आदत पड़ गई है.”    

तो ऐसा क्या था इस स्टोरी में?

इस वीडियो स्टोरी में कहा गया, “सिंतबर महीने में यूपी सरकार ने सोशल मीडिया के कामकाज को लेकर 40 करोड़ का टेंडर निकाला था. इस टेंडर में नियमानुसार गैजेटेड ऑफिसर की जगह क्लर्क को रिपोर्टिंग अफसर बना दिया. जबकि 2017 से लेकर 2021 तक भारत सरकार की पब्लिक सेक्टर यूनिट बीईसीआईएल इस काम को महज एक करोड़ 58 लाख रुपए में करती थी.”

सूत्रों के आधार पर आगे रिपोर्ट में बताया गया, “मुख्यमंत्री के इर्द-गिर्द अफसरों के गुट खुद को श्रेष्ठ साबित करने की होड़ में हैं. इस गुटबाजी में मुख्यमंत्री का सोशल मीडिया सर्कस में तब्दील हो गया है. कई मौकों पर सूचना विभाग के अफसरों ने सरकार की भद्द ही पिटवाई है. यह तब है जब यूपी सरकार के सूचना विभाग का बजट पिछले तीन साल में दोगुना हो चुका है. वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2023-24 आते-आते यह बजट 473.72 करोड़ से 988 करोड़ रुपए हो गया है. जिसमें 700 करोड़ रुपए विज्ञापन के लिए, 150 करोड़ रुपए प्रिंटिंग के लिए और 10 करोड़ रुपए प्रेस आतिथ्य के लिए हैं.”

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रेस आतिथ्य का सारा पैसा अधिकारी अपने लोगों के लिए खर्च कर देते हैं. 

रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि सीएम योगी की सोशल मीडिया टीम में काम करने वाले पार्थ श्रीवास्तव के सुसाइड का मामला अभी भी ठंडे बस्ते में है. इस सुसाइड के बाद सूचना विभाग के कई रसूखदार अफसरों पर सवाल उठे थे, लेकिन अभी तक इस मामले में कोई जांच नहीं हुई है. 

रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि जनसंवाद के लिए बनी यूपी सीएम हेल्पलाइन और जनसुनवाई पोर्टल के ट्विटर हैंडल की दो साल से कोई सुध लेने वाला नहीं है. ऐसे में सवाल है कि आखिर सूचना विभाग के कर्ताधर्ता के कानों पर सीएम की सख्ती के बाद भी जूं नहीं रेंगती. ऐसा क्या राज है कि बड़े-बड़े कांड के बाद भी न तो मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय सिंह पर कोई आंच आती है न ही सूचना निदेशक शिशिर सिंह पर कोई फर्क पड़ता है?

आगे कहा गया, “लखनऊ से दिल्ली तक यह चर्चा आम है कि सूचना विभाग के सबसे बड़े अफसर की माया ऐसी है कि सरकार चाहे मायावती की हो, अखिलेश यादव की या फिर योगी आदित्यनाथ की, वो हर सरकार में बड़े पद पर काबिज रहते हैं. अब ये अधिकारी सबसे ज्यादा वक्त तक सूचना विभाग के पद पर बने रहने का रिकार्ड भी दर्ज कर चुके हैं. दैनिक भास्कर से लखनऊ से ममता त्रिपाठी की रिपोर्ट.” 

क्या कहते हैं भास्कर वाले?

नाम नहीं छापने की शर्त पर लखनऊ के एक पत्रकार कहते हैं, “यह खबर योगी सरकार के खिलाफ थी, खबर पब्लिश होने के बाद यहां बवाल हो गया. सोशल मीडिया समेत व्हाट्सएप के तमाम ग्रुपों में शेयर होने लगी. वायरल हुई तो ऊपर से दबाव बना, जिसके बाद खबर डिलीट करनी पड़ी. हालांकि, भास्कर ने ऐसा पहली बार नहीं किया है इससे पहले भी कई खबरें भास्कर ने डिलीट की हैं.”

दैनिक भास्कर डिजिटल के एडिटर प्रसून मिश्रा से हमने इस बारे में बात की. वह कहते हैं कि ये मामला मेरी जानकारी में नहीं है. मैं पता करके फिर आपको बताता हूं.

भास्कर की यूपी टीम को लीड कर रहे राज किशोर तिवारी से भी हमने बात की. तिवारी मीटिंग में होने की बात कह कर फोन काट देते हैं. दोबारा कॉल करने पर भी वह यही बात दोहराते हैं.  

बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब दैनिक भास्कर ने इस तरह से खबर डिलीट की है. इससे पहले दैनिक भास्कर डिजिटल ने उदयपुर हत्याकांड के आरोपी से जुड़ा एक वीडियो 3 जुलाई 2022 को पब्लिश किया था, लेकिन 24 घंटे के भीतर ही इसे वेबसाइट से हटा लिया गया. इस बारे में रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं. 

दैनिक भास्कर से हटाई गई एक और अन्य खबर के बारे में आप यहां पढ़ सकते हैं.  

Newslaundry is a reader-supported, ad-free, independent news outlet based out of New Delhi. Support their journalism, here.

Sign up to read this article
Read news from 100’s of titles, curated specifically for you.
Already a member? Sign in here
Related Stories
Top stories on inkl right now
Our Picks
Fourteen days free
Download the app
One app. One membership.
100+ trusted global sources.