
दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) के पदाधिकारियों के लिए 21 मई को हुए चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. 22 मई की रात में घोषित नतीजों के मुताबिक अध्यक्ष पद समेत सभी 21 पदों पर उमाकांत लखेड़ा के पैनल ने जीत दर्ज की है. लंबे समय बाद किसी एक पैनल ने सभी पदों पर जीत दर्ज की है.
22 मई की रात तकरीबन 9 बजकर 40 मिनट पर पीसीआई चुनाव आयोग के प्रमुख एमएमसी शर्मा ने नतीजों की घोषणा की. हालांकि लखेड़ा-विनय के पैनल के लोगों ने उससे पहले ही जश्न मनाना शुरू कर दिया था. वहीं विपक्षी पैनल की सेक्रेटरी जनरल की उम्मीदवार पल्लवी घोष ने हार को लेकर ट्वीट कर दिया था.
अध्यक्ष पद पर एक बार फिर उमाकांत लखेड़ा ने जीत दर्ज की है. लखेड़ा को 898 वोट मिले वहीं दूसरे नंबर पर 638 वोटों के साथ संजय बसक रहे. रास बिहारी को 156 और संतुष्टि थापर को 46 वोट हासिल हुए.
उपाध्यक्ष पद पर एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार मनोरंजन भारती ने जीत दर्ज की है. भारती को 887 वोट मिले. दूसरे नंबर पर पवन कुमार रहे. कुमार को 578 वोट मिले. केपी मलिक को 209 और शकील अहमद को 52 वोट मिले.
सेक्रेटरी जनरल पद पर एक बार फिर विनय कुमार ने जीत दर्ज की है. कुमार को 823 वोट मिले वहीं 668 वोट के साथ पल्लवी घोष दूसरे स्थान पर रहीं. संदीप ठाकुर को 165 और राजीव कुमार निशाना को 68 वोट मिले हैं. राजीव निशाना ने दिल्ली में कई जगहों पर अपने होडिंग लगवाए थे.

जॉइंट सेकेट्री की पोस्ट पर 870 वोट हासिल कर स्वाति माथुर ने जीत दर्ज की है. दूसरे नंबर पर लक्ष्मी देवी ऐरे रहीं. उन्हें 536 वोट मिले. जोगिन्दर सोलंकी को 244 और रंजन बासु को 51 वोट हासिल हुए.
कोषाध्यक्ष के पद पर लखेड़ा-विनय पैनल को बेहद कम वोटों से जीत मिली. विजेता चंद्रशेखर लूथरा को जहां 787 वोट मिले वहीं उपविजेता संतोष ठाकुर को 776 वोट मिले. यानी लखेडा-विनय पैनल ने महज 11 वोटों से कोषाध्यक्ष के पद पर जीत दर्ज की है. इस पद पर सबसे कांटे की टक्कर रही.
मैनेजिंग कमेटी के सभी 16 विजेता भी लखेड़ा-विनय पैनल के ही हैं. आदेश रावल, अमित पांडेय, अमृता मधुकाल्या, अनीश कुमार, महताब आलम, कृतिका शर्मा, एम अब्दुल बारी मसूद, मानवेंद्र वशिष्ट, मयंक सिंह, मिहिर गौतम, राहिल चोपड़ा, संगीता बरुआ, शमीन जॉय, तेलप्रोलु श्रीनिवासा राव, विनय भूषण पद्मदेव और विनीता ठाकुर मैनेजिंग कमेटी के लिए चुने गए हैं.



नतीजों की घोषणा होते ही लखेड़ा-विनय पैनल जश्न मनाते हुए नारे लगाने लगा. जबकि विपक्षी पैनल के सदस्य वहां से जा चुके थे. विजेता सदस्यों द्वारा तेज आवाज में जश्न मनाते देख मुख्य चुनाव अधिकारी एमएमसी शर्मा प्रेस क्लब की मर्यादा की याद दिलाई और कहा कि उसका ध्यान रखते हुए जश्न मनाएं.
‘प्रेम क्लब को बचाने के लिए हुई बंपर वोटिंग’
नतीजों की घोषणा करते हुए मुख्य चुनाव अधिकारी एमएमसी शर्मा ने बताया, ‘‘मैं इतने वर्षों से प्रेस क्लब से जुड़ा हुआ हूं. मेरी जानकारी में अब तक सबसे ज्यादा वोटिंग इस बार हुई है. जिस कारण हमें दो बैलेट बनाने पड़े.’’
न्यूज़लॉन्ड्री को मिली जानकारी के मुताबिक इस बार 1791 लोगों ने मतदान किया. अगर बीते सालों की बात करें तो 2021 में 1430 लोगों ने वोट किया था. 2020 के चुनाव में 1763 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया था.
जब भी किसी चुनाव में बंपर वोटिंग होती है तो माना जाता है कि सत्तासीन लोगों के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी है. इस बार भी वोटिंग होने के बाद लोग एंटी इंकम्बेंसी को लेकर बात कर रहे थे. हालांकि न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए उमाकांत लखेड़ा कहते हैं, ‘‘बंपर वोटिंग हमारे टीम के सदस्यों की मेहनत के कारण हुई है. हमने अपने कार्यकाल में पत्रकारों के हितों के लिए जो संघर्ष किया. पत्रकारों की आवाज को हमने बुलंद किया उसी को आगे बढ़ाने के लिए भारी तादात में लोगों ने वोटिंग की है.’’
पीसीआई के पूर्व सेकेट्री जनरल नदीम अहमद की मानें तो बंपर वोटिंग प्रेस क्लब को बचाने के लिए हुई है. लोगों को लगा कि अगर वो आगे बढ़कर वोट नहीं करेंगे तो दूसरा पैनल क्लब पर कब्जा कर लेगा.

नदीम की बातों से क्लब के वरिष्ठ सदस्य सोहेल हाशमी भी इत्तेफाक रखते हैं. वे कहते हैं, ‘‘आज का जो नतीजा आया है वो बताता है कि कम से कम क्लब से जुड़े जो पत्रकार हैं, वो प्रेस की आजादी और बोलने की आजादी को बचाना चाहते हैं. जो गंभीर पत्रकारिता करते हैं उन पत्रकारों ने एकजुट होकर उन लोगों के खिलाफ वोट किया जो प्रेस की आजादी पर अटैक कर रहे हैं.’’
महज 11 वोटों से कोषाध्यक्ष पद हारने वाले संतोष ठाकुर इसको लेकर अलग राय रखते हैं. वे कहते हैं, ‘‘प्रेस क्लब को हम भी बचाना चाहते हैं. पहले उन लोगों की पहचान होनी चाहिए जो क्लब को नहीं बचाना चाहते हैं. शायद ही ऐसा कोई सदस्य हो.’’
ठाकुर बताते हैं, ‘‘जो भी पैनल पावर में होता है उसको कुछ फायदे होते हैं. मसलन वो नए सदस्य बनाते हैं. अब नए सदस्य उन्हें ही वोट करते हैं. इस बार तकरीबन 200 से 250 सदस्य, जो अपना क्लब फीस नहीं दे पाए थे उन्हें वोट से वंचित कर दिया गया. इसका भी इन्हें फायदा हुआ. हालांकि अब वे जीत गए ऐसे में उन्हें मेरी शुभकामनाएं. क्योंकि जीत ही सत्य है.’’
‘हमारे संघर्ष को मिली जीत है’
नतीजों को लेकर उमाकांत लखेड़ा न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘पिछले दिनों प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने प्रेस की आजादी के लिए जो लड़ाई लड़ी, कोरोना के बावजूद पत्रकार और पत्रकारिता के लिए हमने जो संघर्ष किया, यह उसकी जीत है. इस चुनाव में क्लब ने मैसेज दिया है कि प्रेस की आजादी के लिए जो संघर्ष है उसे रुकने नहीं देंगे.’’
कोषाध्यक्ष के पद पर कांटे की टक्कर को लेकर लखेड़ा कहते हैं, ‘‘कोषाध्यक्ष पद पर चंद्रशेखर लूथरा लड़ रहे थे. वे खेल पत्रकार हैं. जो पराजित (संतोष ठाकुर) हुए हैं, वो हिंदी के पत्रकार हैं. इसमें तीसरा कोई बेहतर उम्मीदवार नहीं था. अगर तीसरा कोई भी उम्मीदवार 200 से 300 वोट ले जाता तो हमारा जीतने का अंतर ज्यादा होता.’’
लूथरा न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘मैं साल 1997 से क्लब का सदस्य हूं. यहां हर साल चुनाव होते हैं. मैंने आज तक कभी नहीं देखा कि चुनाव के दिन फूल बांटे जा रहे हों. चुनाव में पीआर कंपनी लाई गई हो. इस बार यहां सब कुछ हुआ. लोग भूल गए कि यह पत्रकारों का क्लब है. यह मूल्यों पर खड़ा हुआ क्लब है. यहां प्रॉपर्टी डीलिंग नहीं हो रही है. हमें अपने मूल्यों को बचाना है. मैं एक स्तर तक ही किसी से वोट मांग सकता हूं. गलत तरीके अपनाकर मैं लोगों से वोट नहीं मांग सकता हूं.’’
लूथरा आने वाले समय में, प्रेस क्लब में होने वाले चुनावों को लेकर चिंता जाहिर करते हैं. वे कहते हैं, ‘‘हमारे अध्यक्ष के बारे में फेक न्यूज़ फैलाई गई. जिन लोगों का क्लब पर पैसा उधार था वो क्लियर कराए गए. मेरे पांच दोस्तों का कराया गया, ऐसे कई लोगों का कराया गया. यह क्लब के लिए ठीक नहीं है. हमें इसकी चिंता करनी चाहिए. हम पत्रकार हैं और हमारी पहचान हमारा काम होना चाहिए.’’

प्रेस क्लब का चुनाव पारंपरिक तरीके से लड़ा जाता रहा है. लोग एक दूसरे पर सवाल जरूर उठाते थे लेकिन इस बार फेक न्यूज़ फैलाने का मामला सामने आया. अखबारों में विज्ञापन दिए गए. दिल्ली में जगह-जगह होर्डिंग्स लगाए गए. प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष आनंद सहाय ने इसको लेकर चिंता व्यक्त की और इसे क्लब के लिए नुकसानदेह बताया.
दरअसल सेक्रेटरी जनरल के लिए चुनाव लड़ रही पल्लवी घोष ने उमाकांत लखेड़ा को लेकर शाह टाइम्स की एक न्यूज़ साझा की थी जिसमें बताया गया था कि लखेड़ा उत्तराखंड के स्पीकर के मीडिया सलाहकार बन सकते हैं. लखेड़ा ने इस खबर को गलत बताया था. इसके अलावा पत्रकार शिराज साहिल द्वारा लखेड़ा के लिए गए इंटरव्यू को एडिट करके साझा करने का आरोप पल्लवी घोष पर लगा.
Another #FakeNews spread by #TeamBasak is busted!
— Mahtab महताब مہتاب (@MahtabNama) May 19, 2022
Members of Team Basak used edited audio clipping to defame our presidential candidate n the current president of PCI, @umakantlakhera!
Defeat falsehood.
Vote, Support and Elect #Umakant_Vinay_Manoranjan_Swati_Luthra panel pic.twitter.com/IF0pRA1dk9
इसको लेकर लखेड़ा कहते हैं, ‘‘फेक न्यूज़ फैलाई गई. हमने इसके खिलाफ शिकायत की है. हम इस पर आगे कार्रवाई करेंगे. इस तरह की अनैतिक हरकतों से क्लब की बदनामी होती है. हम ऐसे लोगों की पहचानने की कोशिश करेंगे जो फेक न्यूज़ फैलाते हैं.’’
चुनावी नतीजों की घोषणा से पहले ही पल्लवी घोष ने ट्वीट करके लिखा, "जरूरी नहीं कि जो हारता है वो झूठा है. जरूरी नहीं कि जो बड़ी-बड़ी बातें करता है सोशल मीडिया पर लेकिन अंधेरे में अपने ज़मीर को बेचता है, वो सच है. हम कहीं नहीं जायेंगे. हम यहीं हैं."
ज़रूरी नहीं कि जो हारता है वो झूठा है . ज़रूरी नहीं कि जो बड़ी बड़ी बातें करता है सोशल मीडिया पर लेकिन अंधेरे में अपने ज़मीर को बचता है वो सच है । हम कहीं नहीं जायेंगैं । हम यहीं हैं ।
— pallavi ghosh (@_pallavighosh) May 22, 2022
क्लब आने वाले दिनों में क्या करने वाला है. इस सवाल के जवाब में लखेड़ा कहते हैं, ‘‘अभी तो मैं कुछ नहीं कह सकता क्योंकि मीटिंग के बाद मैनेजिंग कमेटी फैसला करेगी. हम चाहेंगे कि जो वादे हमने पिछले साल और इस साल किए हैं, उन्हें पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ें.’’
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