सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ़्तारी के खिलाफ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका को खारिज कर दिया.
जस्टिस नीना बंसल ने केजरीवाल को जमानत के लिए निचली अदालत का रुख करने की आजादी दी है. अदालत का कहना है कि इस गिरफ़्तारी को गैर कानूनी या अवैध नहीं कहा जा सकता.
केजरीवाल के वकील मनु सिंघवी ने सीबीआई द्वारा केजरीवाल की गिरफ़्तारी को एक ‘बीमा गिरफ़्तारी’ बताया.
इसके जवाब में सीबीआई एसपीपी ने कहा कि केजरीवाल पूरे घोटाले के मुख्य बिन्दु हैं और मौजूद सबूतों से हम यह कह सकते हैं कि वह इस मामले से जुड़े हुए हैं. साथ ही गिरफ़्तारी की वैधता के चरण से हम पहले ही निचली अदालत में गुजर चुके हैं.
केजरीवाल ने निचली अदालत का रुख करे बिना जमानत के लिए सीधे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. मुख्यमंत्री कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में न्यायिक हिरासत में हैं.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ़्तारी को चुनौती देने वाली केजरीवाल कि याचिका को बड़ी बेंच के पास भेजते हुए मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें अंतरिम जमानत दे दी थी.
सीबीआई ने तिहाड़ जेल में केजरीवाल से पूछताछ की. जो कि दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा पीएमएलए मामले में उनकी जमानत पर रोक के कुछ घंटे बाद हुई. अदालत की इजाजत के बाद सीबीआई ने 26 जून को केजरीवाल से कोर्ट में पूछताछ की और फिर मामले में उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया.
केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. मई में उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए 1 जून तक अंतरिम जमानत दी थी जिसके बाद 2 जून को मुख्यमंत्री ने आत्मसमर्पण कर दिया था.
केजरीवाल की इस याचिका पर अपनी हमारी पुरानी रिपोर्ट को यहाँ पढ़ सकते हैं.
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