अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम पूरे विधि-विधान, कर्मकांड के साथ संपन्न हुआ. प्रधानमंत्री ने इस मौके पर राम की महिमा बताते हुए कहा यही समय है, सही समय है. कुछ विद्वानों की राय है कि प्रधानमंत्री का इशारा भारत को विश्वगुरु बनाने की ओर था, कुछ विद्वान कह रहे हैं कि दरअसल, प्रधानमंत्री का निशाना आगामी लोकसभा चुनाव था. खैर जो भी हो, उनके मन की बात वो ही जानें.
खबरों की इस मारामारी के बीच भी चैनलों पर खबरें कम थी, भजन मंडली ज्यादा थी. आज तक समेत सभी खबरिया चैनलों ने लगातार प्रधानमंत्री के अयोध्या प्रवास का 'अखंड कवरेज' दिखाया.
अंग्रेजी की वरिष्ठ पत्रकार हैं तवलीन सिंह. प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के रविवारी संस्करण 'दी संडे एक्सप्रेस' में कॉलम लिखती हैं. बीते दो हफ्तों में तवलीन सिंह ने अपने स्तंभ में दो लेख लिखे. एक लेख में इन्होंने अयोध्या में हो रहे राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में कांग्रेस पार्टी के शामिल न होने को लेकर अपने विचार पेश किए हैं. दूसरे लेख में अयोध्या में हो रहे आयोजन को हिंदुओं का रेनेसॉं या पुनर्जागरण करार दिया है.
इनके मुताबिक, बीते कई सौ सालों में यह हिंदुत्व का पहला रेनेसॉं है. और फिर तवलीन सिंह एक इंटरव्यू में कहती हैं अयोध्या न जाकर कांग्रेस ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है क्योंकि राम मंदिर धर्म से परे है और राजनीति से परे है.
भारत की राजनीति एक ऐतिहासिक दौर से गुजर रही है. इतने महत्वपूर्ण अवसर पर तवलीन सिंह और इंडियन एक्सप्रेस जैसा प्रतिष्ठित अखबार इतने महत्वपूर्ण स्पेस को इतने सतही राजीतिक विश्लेषण के लिए खर्च कर रहा है. यह अचरज और असहज दोनों करता है. राम मंदिर राजनीति नहीं है- यह किस किस्म का राजनीतिक चिंतन है? इस पर कौन भरोसा करेगा? राम धर्म से परे हैं, इस समझदारी पर कौन यकीन करेगा?
टिप्पणी के इस एपिसोड में इसी पर विस्तार से चर्चा.
Newslaundry is a reader-supported, ad-free, independent news outlet based out of New Delhi. Support their journalism, here.