लोकसभा चुनावों के दूसरे चरण में 20 पाला बदलने वाले उम्मीदवारों में से 6 एनडीए से कांग्रेस में आए. इनमें से 5 भाजपा में और 1 उसके पूर्व सहयोगी दल रालोपा में थे. इन 6 उम्मीदवारों में से 3 राजस्थान में हैं, 2 कर्नाटक में और 1 मध्य प्रदेश में हैं.
न्यूजलॉन्ड्री की यह शृंखला लोकसभा चुनावों में दलबदलू उम्मीदवारों पर है. इसके छठे भाग में हमने 26 अप्रैल को हुए लोकसभा चुनावों से कुछ हफ़्ते पहले कांग्रेस से भाजपा में गए उम्मीदवारों के बारे में बताया.
इस भाग में हम एनडीए से कांग्रेस में जाने वाले उम्मीदवारों के बारे में बात करेंगे.
प्रह्लाद गुंजल
प्रह्लाद गुंजल राजस्थान के कोटा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. वसुंधरा राजे के करीबी रहे, 56 वर्षीय गुंजल, दो बार भाजपा के विधायक रह चुके हैं. वे अपने छात्र जीवन से अगले चार दशक तक भाजपा के साथ रहे. बीते मार्च में उन्होंने यह कहकर भाजपा से संबंध तोड़ लिया कि वे अपनी “खुद्दारी” के साथ समझौता नहीं कर सकते और न ही वे किसी का “गुलाम” बनने के लिए राजनीति में आए थे.
गौरतलब है कि 2023 में राजस्थान में भाजपा की जीत के बाद भी वसुंधरा राजे को पार्टी ने किनारे कर दिया. कोटा से गुंजल बहुत ही मामूली अंतर से हार गए.
ये पहली बार नहीं है जब गुंजल भाजपा छोड़कर गए. 2007-08 के गुज्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाए जाने के बाद भी उन्होंने पार्टी से बगावत की थी. उस वक्त राजे मुख्यमंत्री थीं और गुंजल को पार्टी से निष्काषित कर दिया गया था.
उन्होंने 2008 के विधानसभा चुनावों में लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा था, हालांकि वे हार गए थे. 2013 में वे फिर से भाजपा में आ गए और कोटा से जीत गए. अगले दो चुनावों में उन्हें कांग्रेस के धुरंधर शांति धारीवाल से मात खानी पड़ी थी.
इस चुनाव में गुंजल भाजपा के ओम बिड़ला के खिलाफ खड़े हैं. उन्होंने राजस्थान के पुलिस महानिरीक्षक पर ओम बिड़ला का “एजेंट” होने और “लोकतंत्र की हत्या” करने का आरोप लगाया था. उन्होंने पुलिस पर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर दबाव बनाने, उनपर छापा मारने और 15 दिन के अंदर 40 लोगों को गिरफ्तार करने का आरोप भी लगाया था.
हरीश चंद्र मीणा
हरीश चंद्र मीणा कांग्रेस की टिकट पर राजस्थान के टोंक-सवाई माधोपुर सीट पर चुनाव लड़ रहे है. नौकरशाह से नेता बने, 69 वर्षीय मीणा 2014 में भाजपा में शामिल हुए. इसके पहले वे कैबिनेट सचिव थे. चार साल बाद जब वे दौसा से सांसद बने तब उन्होंने भाजपा छोड़ दी और कांग्रेस में चले गए.
पूर्व में पुलिस महानिदेशक रहे हरीश चंद्र, मीणा समुदाय से आते हैं. मीणा समुदाय राजस्थान में बेहद प्रभावशाली है. यह समुदाय सरकारी सेवाओं तथा राजनीति में अपने दबदबे के लिए जाना जाता है. उनके एक भाई भी नौकरशाह हैं. दूसरे भाई नमोनारायण मीणा कांग्रेस के नेता हैं. उन्होंने दौसा से हरीश के खिलाफ चुनाव लड़ा था.
हरीश के एक्स और सोशल मीडिया अकाउंट्स पर टोंक में सचिन पायलट के साथ जनसमर्थन मांगती हुई तस्वीरों की पोस्ट आसानी से देखी जा सकती हैं. हाल ही में हरीश ने यह बयान दिया था कि अगर भाजपा दोबारा सत्ता में आई तो देश में “तानाशाही” चलेगी.
उम्मेदा राम बेनीवाल
उम्मेदा राम बेनीवाल राजस्थान के बाड़मेर लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. वे पहले राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी में थे.
46 वर्षीय उम्मेदा बेनीवाल रालोपा के हनुमान बेनीवाल के बेहद करीबी माने जाते थे. हालांकि, अब हनुमान बेनीवाल भी इंडिया गठबंधन में शामिल हो गए हैं. उम्मेदा बेनीवाल ने चुनावों और रालोपा के विपक्ष के साथ गठबंधन की घोषणा से ठीक पहले ही कांग्रेस का दामन थाम लिया था.
बेनीवाल ने बाड़मेर जिला परिषद के सदस्य से विधायक तक का सफर तय किया है. वे 2023 के विधानसभा चुनाव में बायतु सीट पर कांग्रेस के हरीश चौधरी से 910 वोटों के मामूली अंतर से हार गए थे. वे जमीन से जुड़े हुए नेता माने जाते हैं. वे इलाके में रालोपा का प्रमुख चेहरा थे.
कांग्रेस में शामिल होने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि उनके जैसे नेता लोकतंत्र बचाने के लिए कांग्रेस में जा रहे है.
नीलम अभय मिश्रा
नीलम अभय मिश्रा कांग्रेस की टिकट पर मध्य प्रदेश के रीवा से चुनाव लड़ रही हैं. 51 वर्षीय पूर्व विधायक नीलम और कांग्रेस से विधायक उनके पति अभय मिश्रा रीवा में महत्वपूर्ण चेहरा हैं. वे पिछले कुछ सालों से इस दल से उस दल में उछल-कूद कर रहे हैं.
2013 में नीलम मिश्रा राजनीति में आयीं और 2018 तक भाजपा में रहीं. साल 2018 में उन्होंने पुलिस पर एक स्थानीय नेता के इशारे पर परेशान करने का आरोप लगाया. यहां तक कि वह इन आरोपों को लेकर विधानसभा में रोईं भी. वह यह कहकर भाजपा से अलग हो गईं कि इससे भाजपा शासित राज्य में ‘औरतों की सुरक्षा की स्थिति’ का पर्दाफाश हो गया है.
उस साल उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया. उन्हें भदोही कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. लेकिन 2019 में उन्होंने अपने पति समेत कांग्रेस को छोड़ दिया. उन्होंने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी पर “अपमानित” करने का आरोप लगाया.
नीलम ने कहा कि प्रियंका गांधी ने ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जिसे “किसी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव द्वारा तो क्या, किसी औरत को दूसरी औरत के लिए बिल्कुल भी नहीं प्रयोग किया जाना चाहिए”.
2023 में पति-पत्नी दोनों वापस भाजपा के संग हो लिए. फिर 2 महीने बाद छोड़ भी दिया. फिर मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के ठीक पहले कांग्रेस में चले गए.
नीलम मिश्रा भाजपा के जनार्दन मिश्रा के खिलाफ रीवा से लड़ रही हैं. दोनों उम्मीदवार ब्राह्मण समुदाय से आते हैं. भाजपा का गढ़ रही इस सीट पर ब्राह्मणों का दबदबा है.
नीलम मिश्रा की संपत्ति 2011 में 14 करोड़ से 27 प्रतिशत बढ़कर 2024 में 17.7 करोड़ हो गई है. वहीं उनके पति की संपत्ति साल 2010 में 6 करोड़ से बढ़कर 16 करोड़ हो गई है.
डॉ जयप्रकाश हेगड़े
डॉ जयप्रकाश हेगड़े कांग्रेस की टिकट पर कर्नाटक की उडुपी और चिकमंगलूर से चुनाव लड़ रहे हैं.
उडुपी जिले के गठन का श्रेय पूर्व में अधिवक्ता रह चुके 71 वर्षीय हेगड़े को दिया जाता है. वे कम से कम तीन बार निर्दलीय चुनाव जीत चुके हैं. वह 1990 में कांग्रेस में आए. साल 2015 में दिवंगत सांसद ऑस्कर फर्नांडीस के साथ विवाद के चलते उन्हें पार्टी से निष्काषित कर दिया गया.
जन नेता के तौर पर लोकप्रिय हेगड़े 2017 में भाजपा में आ गए. उन्हें तब की सरकार द्वारा कर्नाटक पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था. तब से पिछले साल जाति जनगणना की रिपोर्ट सौंपने तक वह अपने पद पर बने रहे. उसके अगले दिन वह पदमुक्त हो गए.
एसपी मुड्डाहानुमेगौड़ा
एसपी मुड्डाहानुमेगौड़ा कांग्रेस की टिकट पर कर्नाटक की तुमकुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
पूर्व में अधिवक्ता रहे 69 वर्षीय मुड्डाहानुमेगौड़ा न्यायिक अधिकारी और तुमकुर के पूर्व सांसद रह चुके हैं. 2022 में भाजपा में जाने से पहले वे कांग्रेसी थे. हालांकि, दो साल के भीतर ही लोकसभा चुनावों से ठीक पहले वह वापस कांग्रेस में आ गए.
वापस आकर उन्होंने कांग्रेस पार्टी को “मां समान” बताया और “बचा हुआ राजनीतिक जीवन” कांग्रेस की सेवा में बिताने की इच्छा जताई.
2019 के लोकसभा चुनावों में मुड्डाहानुमेगौड़ा के अलावा कांग्रेस ने अपने सभी मौजूदा सांसदों को टिकट दिया था. कांग्रेस ने वह सीट अपने सहयोगी दल जेडीएस को दे दी थी.
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अनुवाद- अनुपम तिवारी
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