केंद्र सरकार की शिकायत निवारण समिति (ग्रीवेंस अपीलेट कमेटी) ने हाल ही में मेटा को फेसबुक से वरिष्ठ पत्रकार करण थापर के एक फर्जी साक्षात्कार को हटाने का निर्देश दिया है. साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को सार्वजनिक शिकायतों से सावधानी से निपटने की सलाह भी दी है.
फेसबुक ने इससे पहले संबंधित पोस्ट को हटाने के खिलाफ अनुरोध को यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि उन्होंने उसके सामुदायिक दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं किया है.
मालूम हो कि फर्जी साक्षात्कारों में से एक में फर्जी पैसा बनाने की योजना को बढ़ावा देने के लिए थापर की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था.
गत 12 दिसंबर को समिति ने दुआ एसोसिएट्स की ओर से दायर इस अपील पर विचार किया. मालूम हो कि शिकायत निवारण समिति (जीएसी) का गठन आईटी नियमों के तहत किया गया है.
समिति ने माना कि जल्दी अमीर बनने की योजनाओं को बढ़ावा देना या प्रोत्साहित करना सामुदायिक दिशानिर्देशों का उल्लंघन है, क्योंकि यह धोखाधड़ी है.
समिति ने पाया कि मेटा ने पहले कहा था कि पोस्ट उसके सामुदायिक दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं कर रहे थे, लेकिन बाद में उसने यूआरएल और शिकायतकर्ता द्वारा प्रदान किए गए स्क्रीनशॉट्स के बारे में सवाल उठाए.
इस तरह समिति इस निष्कर्ष पर पहुंची कि मेटा के शिकायत अधिकारी को विशिष्ट यूआरएल लिंक के बारे में पता था, जब उसने शुरू में कहा था कि पोस्ट फेसबुक के सामुदायिक दिशानिर्देशों के खिलाफ नहीं थे. s.
समिति ने इस बारे में करण थापर द्वारा जारी बयान पर भी विचार किया. जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके नाम से फेसबुक पर “दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक सामग्री” का प्रसारण किया जा रहा है.
इसके बाद समिति ने आईटी कानून, 2021 के नियम 3 (1) (बी) (वी), जो कि फेसबुक जैसे मध्यस्थों को "...कोई भी गलत सूचना या जानकारी जो स्पष्ट रूप से झूठी और असत्य या भ्रामक प्रकृति की है" होस्ट करने से रोकता है, को ध्यान में रखते हुए आदेश जारी किए.
समिति ने कहा कि करण थापर के फर्जी साक्षात्कार को तत्काल हटाया जाए. साथ ही मेटा (फेसबुक की संचालक कंपनी) को भी सलाह दी कि वह भविष्य में ऐसी शिकायतों से सावधानी और सही तरीके से निपटे. कोर्ट ने फेसबुक के शिकायत निवारण अधिकारी (ग्रीवेंस ऑफिसर) को भी ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई करने को कहा.
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