कल्पना कीजिए, आपकी कॉलोनी में एक पार्क है, जिसे सरकारी पैसों से बनाया गया है. नगर पालिका या नगर निगम ने उस पार्किंग की देखरेख का जिम्मा एक निजी कंपनी को दे दिया. फिर ये कंपनी इस सार्वजनिक पार्क का एक तिहाई हिस्सा किसी को किराए पर दे दे और लोगों को इसका थोड़ा सा हिस्सा इस्तेमाल करने को मिले. आप घूमने गए तो आपको जगह ही नहीं मिली. पता लगा कि पार्क का इस्तेमाल कंपनी अपने फायदे के लिए कर रही है. इन हालातों में आप क्या करेंगे? क्या कहेंगे? और किससे कहेंगे? क्या सार्वजनिक पार्क को किसी निजी कंपनी को यूं सौंपा जा सकता है और फिर जनता का क्या?
कुछ ऐसा ही हो रहा है नोएडा के सेक्टर 38ए में. यहां पर बनी 7 हजार कारों की क्षमता वाली मल्टीलेवल कार पार्किंग का इस्तेमाल बड़ी कार कंपनियां जैसे स्कोडा, किआ, एमजी, टोयोटा, टाटा, डाटसन, होंडा कार्स24 और ब्लू टैक्सी अपने निजी गोदाम की तरह कर रही हैं. जबकि आम लोगों को केवल इसका 10 फीसदी ही इस्तेमाल करने को मिल रहा है.
साल 2020 में 580 करोड़ रुपए लागत से बनी इस कार पार्किंग का लोकार्पण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था. इसे नोएडा अथॉरिटी द्वारा बनाया गया था. लोकार्पण के वक्त ये दावा किया गया था कि इस पार्किंग में 7000 कारों को पार्क किया जा सकता है.
इस पार्किंग को बॉटनिकल गार्डन मेट्रो स्टेशन के ठीक पीछे बनाया गया था. जिसके पीछे उद्देश्य यह था कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में रहने वाले और दिल्ली एनसीआर के अलग-अलग हिस्सों में काम करने वाले लोगों को पार्क एंड राइड की सुविधा दी जा सके. यानी ग्रेटर नोएडा और नोएडा के लोग इस पार्किंग में अपनी गाड़ी खड़ी करके मेट्रो के जरिए अपने गंतव्य पर जा सके. इसके पीछे दो फायदे थे, पहला इससे पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा मिलता और दिल्ली नोएडा जैसे शहरों में जाम की समस्या भी कम होती. दूसरा नोएडा से दिल्ली रोजाना सफर करने वाले लोगों के पैसे भी बचते. लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है क्योंकि पब्लिक के लिए पार्किंग का स्पेस कम होने की वजह से बहुत लोगों को जगह नहीं मिलती है.
40 वर्षीय विशाल त्रिपाठी एक आईटी प्रोफेशनल हैं और ग्रेटर नोएडा में रहते हैं. उनका ऑफिस दिल्ली में है, इसलिए वह रोजाना बॉटनिकल गार्डन से मेट्रो पड़कर ऑफिस जाते हैं और अपनी चार पहिया गाड़ी वहीं पर पार्क कर देते हैं. इस सवाल पर कि क्या उन्हें हमेशा पार्किंग मिल जाती है? वह कहते हैं, “जब मैं 12 से पहले आ जाता हूं तब पार्किंग मिल जाती है लेकिन अगर लेट हो जाता हूं तो नहीं मिलती. क्योंकि पार्किंग भर जाती है.”
बता दें कि बॉटनिकल गार्डन मेट्रो स्टेशन एनसीआर के सबसे व्यस्त मेट्रो स्टेशनों में से एक है, यहां बड़ी संख्या में लोग ट्रेनों को बदलने के लिए इस लाइन पर पहुंचते हैं, माना जाता है कि हर दिन 2 लाख से ज़्यादा यात्री इंटरचेंज के लिए इस लाइन का इस्तेमाल करते हैं.
यह पार्किंग नोएडा अथॉरिटी द्वारा बनाई गई है लेकिन इसके संचालन का ठेका फिलहाल एमजी इंफ्रा सॉल्यूशन नामक निजी कंपनी के पास है.
एमजी इंफ्रा सॉल्यूशन के ऑपरेशन मैनेजर सुनील शर्मा ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “कंपनी को हर महीने नोएडा अथॉरिटी को 18 से 20 लाख रुपए किराए के रूप में देना होता है लेकिन इस पार्किंग में ज्यादा गाड़ियां नहीं आती थीं इसलिए इसकी ज्यादातर जगह खाली रह जाती थी और यह घाटे में चल रही थी. इसलिए हमने कार कंपनियों के डीलर्स को यह जगह दे दी है. इस बारे में हमने नोएडा अथॉरिटी को भी जानकारी उपलब्ध कराई है और उनसे स्वीकृति भी ली है.”
पार्किंग के बाहर खड़ी रहती हैं गाड़ियां
सुनील के मुताबिक, पार्किंग में गाड़ियां नहीं आ रही थीं. इसलिए उनकी कंपनी ने पब्लिक पार्किंग की जगह कार डीलरों को दे दी ताकि वह इसे निजी गोदाम की तरह इस्तेमाल कर सकें. जबकि हकीकत इसके थोड़ी सी उलट है. जब न्यूज़लॉन्ड्री ने मल्टीलेवल कार पार्किंग का दौरा किया तो हमने पाया कि लगभग 25 से 30 गाड़ियां पार्किंग के बाहर खड़ी हैं. जब हमने वहां पर पार्किंग का टिकट काट रहे कर्मचारी से बात की तो उन्होंने बताया कि पार्किंग के अंदर जगह नहीं है. इसलिए गाड़ियां बाहर खड़ी हैं. इसके सबूत के तौर पर उन्होंने टिकट मशीन का डाटा भी दिखाया.
जैसा कि हमने पहले बताया कि इस मल्टीलेवल कार पार्किंग की क्षमता 7 हजार कारों की है. लेकिन डाटा के हिसाब से देखें तो 770 कारों में ही पार्किंग फुल हो जा रही है. यानी आम लोगों को केवल इसका 10 फीसदी हिस्सा ही इस्तेमाल करने को मिल रहा है.
बाहर खड़ी गाड़ियों में से एक गाड़ी रवि सिंह की थी. रवि सिंह नोएडा में रहते हैं और व्यापार के सिलसिले में दिल्ली जाते रहते हैं. रवि बताते हैं, “यहां पर जगह की कमी रहती ही है. कई बार पार्किंग भरी रहती है तो हमें अपनी गाड़ी पार्किंग के अंदर वाले रास्ते पर लगानी पड़ती है. और जब वह भी भर जाता है तो यहां बाहर खड़ी करके जाना पड़ता है.”
वहीं, दूसरी तरफ इस पार्किंग में जो सड़क पार्किंग में आने वाले आम लोगों की गाड़ियों के इस्तेमाल के लिए बनाई गई थी, उस पर अब बड़े-बड़े कंटेनर खड़े नजर आते हैं.
पार्किंग के पीछे का हिस्सा आम लोगों के लिए लगभग निषेध है. पार्किंग में बने दो गेटों में से केवल सामने का गेट ही आम लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जबकि पीछे का जो गेट है, उसका इस्तेमाल कार कंपनियों की गाड़ियों को चढ़ाने और उतारने में इस्तेमाल किया जाता है. जब हम पार्किंग के पिछले वाले हिस्से में गए तो हमने देखा कि वहां पर एक लाइन से चार बड़े-बड़े ट्रेलर लगे हुए हैं और उनसे अलग-अलग कंपनियों टोयोटा, किआ, एमजी और टाटा की गाड़ियां उतारी जा रही हैं.
कौन सा फ्लोर किस कंपनी का?
अपर बेसमेंट और ग्राउंड फ्लोर मिलाकर इस बिल्डिंग में कुल आठ फ्लोर हैं. एक फ्लोर पर करीब 800 गाड़ियां पार्क की जा सकती हैं.
बिल्डिंग के अपर बेसमेंट का इस्तेमाल ब्लू टैक्सी और होंडा द्वारा किया जा रहा है. इसके आधे हिस्से पर होंडा कंपनी की गाड़ियां खड़ी हैं. गाड़ियों पर कोई नंबर प्लेट नहीं है, जिसको देखकर यह साफ कहा जा सकता है कि यह शोरूम की गाड़ियां हैं और आधे हिस्से पर ब्लू टैक्सी की पार्किंग और चार्जिंग स्टेशन है, जहां पर ब्लू टैक्सी की गाड़ियां पार्क की जाती हैं और साथ में चार्ज भी.
वहीं, फर्स्ट फ्लोर का इस्तेमाल टोयोटा, स्कोडा और डाटसन द्वारा किया जा रहा है. इन गाड़ियों पर जमी हुई धूल को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये काफी दिनों से यहीं पार्क हैं. इन गाड़ियों पर भी कोई नंबर प्लेट नहीं है यानी यह भी शोरूम की ही गाड़ियां हैं.
वहीं, सेकंड फ्लोर पूरी तरह से टाटा की गाड़ियों से भरा हुआ है. यह फ्लोर सिर्फ टाटा की शोरूम की गाड़ियों के लिए रिजर्व है.
यहां पर टाटा कंपनी की अलग-अलग मॉडल की नई-नई गाड़ियां साफ तौर पर देखी जा सकती हैं.
थर्ड फ्लोर कार्स 24 के नाम से रिजर्व है. यह कंपनी इस्तेमाल की गई कारों को खरीदने और बेचने का काम करती है. इसके लिए कार्स 24 ने थर्ड फ्लोर पर ही एक छोटा सा ऑफिस भी बना रखा है.
जब हमने एमजी इंफ्रा सॉल्यूशन्स के मैनेजर सुनील शर्मा से पूछा कि क्या पब्लिक पार्किंग में कमर्शियल गतिविधि के लिए ऑफिस खोलने की भी परमिशन है?
तो वह कहते हैं, “इसमें गलत क्या है, अगर इतनी बड़ी कंपनी अपनी प्रापर्टी कहीं रखेगी तो उसके मेंटेनेंस और देखभाल के लिए अपने लोग भी तो रखेगी.”
हमने इस बारे में कार्स24 को भी सवाल भेजे हैं. अगर उनका कोई जवाब आता है तो उसे इस ख़बर में जोड़ दिया जाएगा.
चौथे फ्लोर के आधे हिस्से पर एमजी और आधे हिस्से पर किआ कंपनी की गाड़ियां पार्क हैं.
इन सभी फ्लोर पर गाड़ियों की रखवाली के लिए गार्ड और तकनीकी मेंटेनेंस के लिए इंजिनियर्स भी मौजूद रहते हैं. यहां तक कि गाड़ियों को शोरूम तक ले जाने के लिए एक गेट पास की जरूरत होती है. जिस पर गाड़ी का इंजन नंबर लिखा होता है. गाड़ी को लेने आए ड्राइवर को यह गेट पास गार्ड के पास जमा करना होता है, फिर गार्ड ड्राइवर को गाड़ी की चाबी देता है.
न्यूज़लॉन्ड्री ने एमजी और किआ का गेट पास चेक किया तो पता चला कि एमजी की गाड़ियां क्रिस्टल ऑटोकार्स लिमिटेड एजेंसी की तरफ से यहां पार्क की गई हैं. वहींं, किआ का गेट पास देखकर पता चला कि यह पार्किंग किआ की एजेंसी अलाइड मोटर्स के हवाले है.
एमजी इंफ्रा सॉल्यूशन और इन एजेंसियों के बीच कॉन्ट्रैक्ट कब हुआ, इसकी रकम कितनी है, पब्लिक पार्किंग को गोदाम की तरह इस्तेमाल करने के लिए एजेंसी कंपनी को मासिक तौर पर कितनी राशि का भुगतान करती है, क्या इसके लिए नोएडा अथॉरिटी से स्वीकृति ली गई थी आदि सवाल अलाइड मोटर्स और क्रिस्टल ऑटोकार्स को भेजे हैं. जवाब आने पर स्टोरी में अपडेट कर दिया जाएगा.
वहीं, दूसरी तरफ हमने इन सभी फ्लोर पर मौजूद गार्डस और इंजीनियरों से बात करने की कोशिश की. जिनमें से ज्यादातर ने हमसे बात करने से मना कर दिया. एमजी की सुरक्षा में लगे गार्ड मुकेश ने हमसे बात की. उन्होंने बताया कि चौथे फ्लोर पर एमजी मोटर्स की करीब 250 गाड़ियां पार्क हैं.
बिल्डिंग का पांचवा और छठा फ्लोर बिल्कुल खाली है. यहां पर न आम लोगों की गाड़ियां पार्क हो रही हैं और ना किसी कंपनी की.
बढ़ती इन्वेंटरी और कारों की बिक्री में गिरावट
गौरतलब है कि इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत से ही भारत में कारों की बिक्री में भारी गिरावट देखी जा रही है. भारत में जून में कारों की खुदरा बिक्री 6.8 प्रतिशत घट गई जो लगभग ढाई साल में सबसे बड़ी गिरावट है.
फेडरेशन ऑफ़ डीलर्स एसोसिएशन (एफएडीए) के मुताबिक, जून में पैसेंजर वाहनों की बिक्री घटकर 2,81,566 यूनिट्स हो गई. यह सितंबर, 2022 के बाद की सबसे कम संख्या है. वहीं जुलाई महीने में पैसेंजर व्हीकल की होलसेल में 2.50 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.
जबकि अगस्त में भारत में कारों की बिक्री पिछले साल की तुलना में 5% गिर गई. जिसकी वजह से कारों की इन्वेंटरी लगातार बढ़ रही है. एफएडीए के मुताबिक, 70-75 दिनों की अवधि और 7.8 लाख वाहनों की संख्या के साथ अगस्त महीने में भारत में इन्वेंटरी खतरनाक स्तर पर पहुंच गई. जिसकी कुल कीमत 77,800 करोड़ रुपए है.
दूसरी तरफ त्योहारों का सीजन भी आ रहा है. इसमें दिवाली, छठ, गणेश चतुर्थी आदि शामिल हैं. जिससे डीलर्स को उम्मीद है कि कारों की बिक्री बढ़ेगी इसलिए भी वह कारों का स्टॉक बढ़ा रहे हैं.
क्या कहता है नियम
न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एरिया बिल्डिंग रेगुलेशन एक्ट, 2010 के चैप्टर 8 के मुताबिक, केवल ग्राउंड का 25% हिस्सा ही कमर्शियल उपयोग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. बिल्डिंग का केवल टॉप फ्लोर ऑफिस के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. वहीं, बिल्डिंग के बेसमेंट का इस्तेमाल केवल पार्किंग के लिए ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए. अपनी पड़ताल में हमने पाया कि इस मल्टीलेवल कार पार्किंग में इन तीनों नियमों की अनदेखी की जा रही है. बिल्डिंग के कई हिस्सों में व्यावसायिक गतिविधि चल रही हैं. यहां तक कि तीसरे फ्लोर पर कार्स 24 का ऑफिस भी है जबकि रेगुलेशन के मुताबिक, ऑफिस केवल टॉप फ्लोर पर होना चाहिए. इसके अलावा रेगुलेशन यह भी कहता है कि 20 मिनट का इस्तेमाल केवल पार्किंग के मकसद से किया जाना चाहिए लेकिन इस बिल्डिंग के अपर बेसमेंट का इस्तेमाल ब्लू टैक्सी चार्जिंग स्टेशन के तौर पर किया जा रहा है.
नोएडा अथॉरिटी ने क्या कहा
जब हमने नोएडा अथॉरिटी के उपमहाप्रबंधक (सिविल) विजय रावल से बात की तो उन्होंने कहा, “यह मामला नोएडा अथॉरिटी के संज्ञान में है. वहां पर ज्यादातर स्पेस खाली रह जाता था इसलिए यह कदम उठाया गया. हालांकि, यह कॉन्ट्रैक्ट एमजी इंफ्रा और कार कंपनियों की एजेंसियों के बीच है. इसमें नोएडा अथॉरिटी की कोई हिस्सेदारी नहीं है.”
वहीं, उन्होंने हमारे अन्य सवालों जैसे नोएडा अथॉरिटी ने एमजी इंफ्रा को पार्किंग को संचालित करने का कॉन्ट्रैक्ट कितने रुपए में दिया, क्या शुरुआती कॉन्ट्रैक्ट में पब्लिक पार्किंग के व्यावसायिक इस्तेमाल की बात कही गई थी या इसे बाद में जोड़ा गया, क्या कार एंजेसियों ने नोएडा अथॉरिटी से इस बारे में स्वीकृति ली थी आदि का कोई जवाब नहीं दिया.
हमने कुल 8 सवाल नोएडा प्राधिकरण के सीईओ डॉ. लोकेश एम और एमजी इंफ्रा के मालिक प्रवीन गुप्ता को भेजे हैं. जवाब आते ही उन्हें इस ख़बर में जोड़ दिया जाएगा.
न्यूज़लॉन्ड्री ने कार्स24, ब्लू स्मार्ट और इस रिपोर्ट में बताए गए सभी डीलरों को सवाल भेजे हैं. जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
Newslaundry is a reader-supported, ad-free, independent news outlet based out of New Delhi. Support their journalism, here.