प्रधानमंत्री मोदी का सबसे बड़ा वादा था कि किसानों की आय 2022 तक दोगुनी हो जाएगी. 2022 में भारतीय कृषि अनुसंधान समिति ने असंख्य किसानों में से 75,000 ऐसे किसानों की सफलता की कहानी एक पुस्तिका के रूप में जारी की, जिनकी आय दोगुनी हो गई थी.
पुस्तिका का आमुख केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लिखा था. आजादी के 75वें साल की उपलब्धि बताने के लिए प्रधानमंत्री के वादे को पूरा करने की पुष्टि करने के लिए यह पुस्तिका जारी की गई थी. इसमें सरकार द्वारा नीतियां बनाने और क्षेत्र के अनुसार रणनीतियां लागू करने की बात भी कही गई थी.
हालांकि, न्यूजलॉन्ड्री ने पड़ताल में पाया कि जमीनी सच्चाई का पुस्तिका के दावों से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है. महाराष्ट्र में मराठवाड़ा के बारुल में खेती की हालत बहुत ही ज्यादा पतली है. हम वहां की छह महिलाओं से मिले जिनका नाम इस पुस्तिका में था. लेकिन या तो उनके पास जमीन नहीं है या फिर उनकी आय दोगुनी नहीं हुई है.
गांव के किसानों में से एक 60 वर्षीय साखरबाई सगुर की पुस्तिका में उम्र 27 वर्ष बताई गई है. दावा किया गया है कि 2017 में उनकी आय 67,170 रुपये थी जो 2021 में 1,47,170 हो गई और उनके पास चार एकड़ जमीन है. लेकिन सगुर का कहना है, “यह सब झूठ है. मेरे नाम पर कोई जमीन नहीं है. मेरे परिवार के पास 15 एकड़ जमीन है. लेकिन पिछले 10-15 सालों से कुल आय 1 लाख से ज्यादा कभी नहीं हुई.”
देखिए हमारी ये रिपोर्ट.
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