जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दो चरणों के लिए मतदान हो चुका है. तीसरे और आखिरी चरण के लिए चुनाव प्रचार जोरों पर है. तीसरे चरण में 40 सीटों पर मतदान होगा. जिसमें 16 सीटें कश्मीर घाटी में और 24 सीटें जम्मू क्षेत्र में हैं. जम्मू और कश्मीर में 2014 का विधानसभा चुनाव सांप्रदायिकता और प्रादेशिकता के मुद्दे लड़ा गया. जिसका असर नतीजों मे भी दिखा. कश्मीर घाटी में नेशनल कान्फ्रेंस और पीडीपी को ज्यादा सीटें मिली तो वहीं जम्मू में भाजपा को ज्यादा सीटों पर जीत मिली. 2014 में भाजपा को कुल 25 सीटें मिली थी. जिन के पीछे दो बड़े कारण थे- एक 2014 की मोदी लहर और भाजपा का जम्मू-कश्मीर से 370 हटाकर एक नया जम्मू कश्मीर बनाने का वादा.
अब 2014 के विधानसभा चुनाव को 10 साल हो चुके हैं. इन 10 सालों में जम्मू-कश्मीर में बहुत कुछ बदल चुका है. मसलन, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 का हटा दिया जाना और जम्मू-कश्मीर जो कि एक पूर्ण राज्य था, उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में तब्दील कर देना. इन बदले हुए हालातो में एक बार फिर से जम्मू-कश्मीर में चुनाव हो रहा है. ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि क्या इस बार भी हिंदू हार्टलैंड जम्मू 2014 के पैटर्न पर वोट करेगा या फिर उसके मन में कुछ और चल रहा है.
यही जानने के लिए हमने पिछले एक हफ्ते तक जम्मू के अलग-अलग हिस्सों का दौरा किया. इस दौरान हमें समझ में आया कि भाजपा के लिए 2024 का चुनावी रास्ता 2014 जितना आसान तो नहीं है.
दरअसल, जम्मू के लोगों को उम्मीद थी कि कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद उनके इलाके विकास होगा. उन्हें व्यापार और रोजगार के बेहतर विकल्प मिलेंगे. लेकिन स्थिति इसके उलट है. यहां के लोगों में मायूसी साफ तौर पर देखी जा सकती है.
जम्मू के त्रिकुटा के रहने वाले 50 वर्षीय रवि कुमार कहते हैं, “हमारी तीन पीढियों ने भाजपा को वोट दिया है. हमें मोदी जी से बहुत उम्मीद थी लेकिन धारा 370 हटाने से बदला तो कुछ भी नहीं उल्टे बेरोजगारी और महंगाई बढ़ गई. हमारे स्थानीय पढ़े-लिखे बच्चे बेकार घूम रहे हैं और यहां पर बाहर के लोग आकर रोजगार कर रहे हैं.”
वहीं, 50 वर्षीय क्षमा देवी कहती हैं, “गैस सिलेंडर, राशन, सब्जी सब चीज महंगी होती जा रही हैं. अमीर और अमीर हो रहा है, गरीब और गरीब हो रहा है. इससे अच्छा तो पहले ही था, कम से कम गुजारे भर का कमा तो लेते थे अब तो वह भी नहीं हो पा रहा है.”
वहीं, दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के जम्मू प्रकोष्ठ में बगावत भी देखने को मिली. चुनाव की घोषणा के साथ जब भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट घोषित की तो यहां के स्थानीय नेता और कार्यकर्ताओं ने इसके खिलाफ भाजपा के जम्मू दफ्तर पर प्रदर्शन किया. भारतीय जनता पार्टी को वह लिस्ट वापस लेनी पड़ी. इसके बावजूद जम्मू के भाजपा नेताओं में असंतोष बढ़ता रहा. पार्टी के वरिष्ठ और पुराने नेताओं ने बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ने के घोषणा कर दी. इसमें सबसे पहला नाम जम्मू भाजपा के वाइस प्रेसिडेंट रहे पवन खजुरिया का था. दूसरा नाम वरिष्ठ भाजपा नेता चंद्र मोहन शर्मा का है.
चंद्र मोहन शर्मा जम्मू भाजपा युवा मोर्चा के पहले अध्यक्ष थे. 50 सालों तक संघ और भाजपा के साथ जुड़े रहने के बावजूद अब चंद्र मोहन शर्मा जम्मू वेस्ट सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, एक और पुराने नेता जोगिंदर सिंह काकू, जो कि 20 साल तक पार्टी में कार्यरत रहे, वह भी भाजपा को छोड़कर नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर नगरोटा विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं. इसके अलावा इस लिस्ट में कई और नाम हैं, जैसे रामनगर से मूलराज भाजपा को छोड़कर कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
हमने इस रिपोर्ट में भाजपा से बगावत करके निर्दलीय या किसी और पार्टी से चुनाव लड़ रहे नेताओं सहित आम जनता से बात की है और जानने की कोशिश की है कि तीसरे चरण का यह चुनाव भाजपा के लिए कितना आसान और कितना मुश्किल है.
देखिए हमारी यह वीडियो रिपोर्ट.
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