तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया है. संसद की लोकाचार समिति (एथिक्स कमेटी) की रिपोर्ट के आधार पर उनके खिलाफ ये कार्रवाई की गई. लोकाचार समिति की रिपोर्ट के आधार पर संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने महुआ के निलंबन की सिफारिश की थी.
मालूम हो कि महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोप लगे थे. इसी मामले में लोकाचार समिति ने निष्कासन और उनके खिलाफ निर्धारित समय में सरकारी जांच की सिफारिश की थी.
अपने निष्कासन पर मीडिया से बात करते हुए महुआ ने कहा कि उद्योगपति अडाणी के इशारे पर उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. साथ ही उन्होंने पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोपों पर इंकार किया है. महुआ ने इस कार्रवाई को ‘कंगारू कोर्ट’ की कार्रवाई की संज्ञा दी है.
महुआ के निष्कासन पर विपक्षी सांसदों की भी तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है.
उनके निष्कासन पर पार्टी की ही साथी सांसद नुसरत जहां ने कहा, “महिलाओं के मामले में यह सरकार वास्तव में निष्पक्ष नहीं रही है. हमने रिपोर्ट की हार्ड कॉपी मांगी है. रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद ही हम एक निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं और जब चर्चा होगी तब हम सभी ने अनुरोध किया है कि महुआ को खुद के लिए बोलने का मौका दिया जाना चाहिए और वह जो भी महसूस करती हैं उसे कहने का मौका दिया जाना चाहिए क्योंकि वह इस मामले में सबसे अधिक प्रभावित है.”
इससे पहले, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने उनके निष्कासन की सिफारिश पर लोकसभा स्पीकर से कहा कि उन्हें लोकाचार समिति की रिपोर्ट पढ़ने का समय नहीं मिला है. ऐसे में सभी को इस मामले में 3-4 दिन का वक्त देना चाहिए. साथ ही महुआ को भी अपना पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए.
वहीं, भाजपा सांसद हीना वी गावित ने कहा, "एक व्यक्ति के कारनामों के कारण, भारतीय सांसदों को अब विश्व स्तर पर नकारात्मक नजरिए से देखा जा रहा है. जरूरी है कि हम संसदीय प्रक्रियाओं का पालन करें."
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, " लोकसभा की नियमावली के नियम 105 (2) के तहत, सदन के भीतर दिए गए बयानों को कार्रवाई से छूट दी गई है. क्या हमें संविधान की अवहेलना करनी चाहिए?"
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