हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होने हैं. बीते दस सालों से यहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. तीसरी बार सत्ता में वापसी करने के लिए जहां बीजेपी दांव लगा रही है, वहीं कांग्रेस दस सालों का राजनीतिक वनवास काटकर सत्ता में वापसी के लिए जोर लगा रही है.
नूंह सीट से कांग्रेस ने वर्तमान विधायक और विधानसभा में उपनेता आफताब अहमद को उम्मीदवार बनाया है. वहीं, बीजेपी ने सोहना के विधायक संजय सिंह को यहां से मैदान में उतारा है. इनेलो ने यहां के कद्दावर राजनीतिक घराने के वारिस ताहिर हुसैन को टिकट दिया है. जिसके बाद यहां का चुनाव त्रिकोणीय हो गया है. हालांकि, आफताब अहमद का मानना है कि लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच में है. प्रदेश की जनता यह समझ चुकी है.
नूंह क्षेत्र से अभी तक बीजेपी नहीं जीत पाई है. यहां मुख्य रूप से आफताब अहमद और जाकिर हुसैन (ताहिर के पिता) के परिवार के बीच ही मुकाबला रहा है. बीते विधानसभा चुनाव में जाकिर हुसैन, बीजेपी के उम्मीदवार थे. हालांकि, वह तकरीबन चार हजार वोटों से हार गए थे. नूंह की पहचान आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े जिले में की जाती है. सालों से यहां के निवासी एक विश्वविद्यालय की मांग कर रहे हैं.
न्यूज़लॉन्ड्री जब आफताब अहमद के घर उनसे बात करने जा रहा था तो सड़क के दोनों तरफ पानी भरा था. यहां तक कि यहां का महिला पुलिस थाना हो, वन स्टॉप सेंटर हो या एसबीआई की स्थानीय ब्रांच, सब जगह पानी भरा हुआ था.
जिले की इस बदहाली के सवाल पर अहमद कहते हैं, ‘‘कांग्रेस ने 2005 में नूंह को जिला बनाया. इसे शहर का रूप दिया लेकिन आप देख सकते हैं कि बीते दस सालों में बीजेपी ने नूंह के साथ सौतेला व्यवहार किया. शहर में जलभराव बीते दो सालों से बड़ी समस्या बनी हुई है. इसको लेकर विधानसभा से लेकर सड़क तक हमने आवाज़ उठाई है. लेकिन इस सरकार में कोई सुनने वाला नहीं है. यह बीजेपी सरकार की इस इलाके के विकास के लेकर मानसिकता और गंभीरता को दर्शाता है.’’
आगे बातचीत में वह कहते हैं कि मेवात का इलाका कथित गोरक्षकों और कथित गोतस्करों के बीच नूरा-कुश्ती का अखाड़ा बन गया है. वह कहते हैं कि कांग्रेस की सरकार आएगी तो वह कानूनी रास्ते से इस समस्या से निपटेंगे.
हमने आफताब अहमद से नूंह के विकास, मेवात के पिछड़ेपन, बीजेपी सरकार के दस साल और मेवात में गोरक्षकों के आतंक समेत कई मुद्दों पर बातचीत की.
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