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अवधेश कुमार

मालेगांव ब्लास्ट मामले के आरोपित अमृतानंद के साथ आईजीएनसीए ने आयोजित किया कार्यक्रम

भारत सरकार की संस्था इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) और शारदा सर्वज्ञ पीठ, कश्मीर ने मिलकर एक कार्यक्रम आयोजित किया. कार्यक्रम में पीठ की ऐतिहासिकता पर संगोष्ठी एवं परिचर्चा हुई. 

14 सितंबर को हुए इस कार्यक्रम में पीठ के स्वघोषित शंकराचार्य अमृतानंद मुख्य भूमिका में नजर आए. कला केंद्र के सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया. 

इसके अलावा कार्यक्रम के लिए जारी नोटिफिकेशन के अनुसार लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर रमेश पांडेय, सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय के चांसलर आचार्य रमेश चंद्र मिश्रा, वैदिक स्कॉलर सप्तऋषि मिश्रा, एयूएन नीदरलैंड के चेयरमैन अरिंदम भट्टाचार्य, द्रोपदी ड्रीम ट्रस्ट की अध्यक्ष डॉ. नीरा मिश्रा, हेड ऑफ डिपार्टमेंट भारत विद्या परियोजना, आईजीएनसीए के प्रोफेसर आर्य भूषण शुक्ला को मुख्य वक्ता के रूप में बुलाया गया.

समवेत ऑडिटोरियम जनपथ दिल्ली में यह कार्यक्रम बृहस्पतिवार को 3 से 5 बजे के बीच आयोजित किया गया. 

बता दें कि शंकराचार्य स्वामी अमृतानंद उर्फ दयानंद पांडेय महाराष्ट्र में 2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी है और अभी जमानत पर बाहर हैं. इस मामले में मध्य प्रदेश के भोपाल से भारतीय जनता पार्टी की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर मुख्य आरोपी हैं. 

अमृतानंद पर मालेगांव ब्लास्ट हमले की साजिश रचने का आरोप है. उन पर आरोप है कि उन्होंने इस हमले की साजिश के लिए हुई बैठकों में अन्य लोगों के साथ हिस्सा लिया था.  

मालूम हो कि 29 सितंबर, 2008 को मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर नासिक जिले के मालेगांव शहर में एक मोटर साइकिल पर बंधे बम में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गई थी, इस धमाके में करीब 100 लोग घायल हो गए थे. बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और अमृतानंद समेत 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. 

सभी आरोपियों पर मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट 1999), गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.

शारदा सर्वज्ञ पीठ ने क्या कहा

शारदा पीठ के प्रवक्ता आचार्य मदन मालेगांव ब्लास्ट मामले पर कहते हैं, “यह मामला निपट गया है, अब थोड़ा सा रह गया है. बहुत कुछ हमारे पक्ष में ही है. जम्मू, कश्मीर व लद्दाख हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल पिछले साल महाराज जी (अमृतानंद) के सानिध्य में रहे हैं. उन्होंने कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया था. जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी साथ थे. इस बार भी शारदा यूनिवर्सिटी में जो कार्यक्रम हो रहा है, उसमें लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, केंद्रीय राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह, उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी उपस्थित रहेंगे. इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि यह केस अब कुछ भी नहीं है. ये केस तो यूपीए सरकार की देन है. झूठ और अफवाह पर आधारित केस है. इसमें सबूत वगैरह कुछ नहीं हैं.” दरअसल, वह इस बातचीत में जोर देते हुए दिखाई देते हैं कि उनकी कहां तक पहुंच है.

वह आगे कहते हैं कि इसके चलते महाराज जी करीब आठ सालों तक जेल में रहे. इसको आप ऐसे समझिए कि जैसे मां वैष्णो देवी को भी गर्भ में छुपकर रहना पड़ा था तो ऐसे ही मानकर चलिए कि जेल में भी महाराज जी का प्रोटोकॉल चलता था. अब सबको समझ आ गया है कि यह एक षड्यंत्र शंकराचार्यों, धर्माचार्यों के विरुद्ध भगवा आतंकवाद के साथ-साथ चलाने का विचार था. इसलिए जनता ने उन्हें सत्ता से उखाड़ दिया. अब इस केस में कुछ भी नहीं है, यह अब सिर्फ छह माह में निपट जाना चाहिए. 

आदि शंकराचार्य ने तो चार मठ स्थापित किए थे, फिर ये कौनसा मठ है? इस सवाल पर वह कहते हैं, “यह सवाल सभी लोग करते हैं. देखिए, आदि शंकराचार्य ने एक छोटा सा ग्रंथ लिखा है, उसका नाम है मठान्माय है. इसमें इन चार के अलावा तीन मठों का और जिक्र है यानी कुल सात मठों की चर्चा है. इनमें जो सबसे ऊपर है उनमें शारदा सर्वज्ञ पीठ है. जिसमें संपूर्ण वेद हैं. 

वह कहते हैं कि आज 14 सिंतबर को कश्मीरियों का बलिदान दिवस भी मनाया जाता है. साथ ही शारदा सर्वज्ञ पीठ के ऐतिहासिक महत्व पर चर्चा की गई थी.

आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित शारदा पीठ ने क्या कहा 

शारदा कमेटी कश्मीर के प्रमुख रविंद्र पंडिता कहते हैं, “आदि आदि शंकराचार्य ने पूरे भारतवर्ष में चार मठ स्थापित किए. पांचवा कोई मठ नहीं है. जो हैं वह सब फर्जी और सनातन धर्म को कमजोर करने के लिए हैं. गुजरात में जो द्वारकाधीश मठ है वहां पर सदानंद जी हैं, ज्योतिर्मठ में स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती, गोवर्धन पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती और श्रृंगेरी मठ दक्षिण में भारती तीर्थ महाराज हैं. इनके अलावा कोई भी शंकराचार्य नहीं है. अब ये अमृतानंद स्वामी और न जाने कौन-कौन आ रहे हैं और आगे भी आएंगे ये सब ऐसे ही हैं. इनका शारदा पीठ से कुछ लेना देना नहीं है. बाकी सब झूठ के मठ हैं.”

इस संबंध में हमने कला केंद्र के सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी जो कि मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित थे उनसे भी बात की. वह कहते हैं, “मुझे इस कार्यक्रम का निमंत्रण था लेकिन मैं नहीं गया था. इस प्रोग्राम के बारे में मेरे पास ज्यादा जानकारी नहीं है इसलिए मैं नहीं बता पाऊंगा. हमारे यहां एवी शुक्ला हैं आप उनसे बात कर सकते हैं.” 

जोशी इस बारे में बात करने से बचते नजर आए. वहीं शारदा सर्वज्ञ पीठ के प्रवक्ता कहते हैं कि जोशी कार्यक्रम में आए थे लेकिन वह रुके नहीं और महाराज जी से बात करके कुछ देर में ही चले गए.

इस कार्यक्रम की घोषणा इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के आधिकारिक एक्स हैंडल से भी किया गया है. जिसमें लिखा है- "शारदा सर्वज्ञ पीठ, कश्मीर का ऐतिहासिक महत्व पर गोष्ठी आयोजित की गई. इस मौके पर पीठ के पीठाधीश्वर श्रीमद् जगदगुरू शंकराचार्य अनन्त श्री स्वामी अमृतानंद देव तीर्थ जी महाराज मौजूद रहे.”

इस बारे में हमने आईजीएनसीए के अध्यक्ष और पत्रकार राम बहादुर राय से भी बात करने की कोशिश की. हालांकि, उनकी ओर से कोई जावाब नहीं आया. 

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