नेताओं के कई अवतार होते हैं. कभी उदार जिम्मेदार बुजुर्ग कभी मेहनतकश आम आदमी तो कभी अपराजेय संरक्षक. लेकिन भारत के सबसे बड़े राज्य के एक हिस्से में एक नया नवेला नेता खुद को सीधे उस देवता से जोड़ रहा है जिसके नाम पर दक्षिणपंथ एक स्वर में इकट्ठा हो जाता है.
जनादेश 2024: श्रीनिवासन जैन के साथ बयानबाजी बनाम सचाई के पहले भाग में आपका स्वागत है. इस शृंखला के 6 भाग हैं जिसमें हम सबसे बड़े चुनावी अखाड़े में झूठ और सच के अंतर से आपको रूबरू कराएंगे.
इस हफ्ते श्रीनिवासन मेरठ गए. यहां भाजपा उम्मीदवार अरुण गोविल का दावा है कि उनको दिया गया वोट सीधे “भगवान राम में विश्वास” का प्रतीक है. ये उनकी राजनीतिक पारी की शुरुआत है. इन्हें आज भी घर-घर में लोग 1980 में दूरदर्शन पर हिट कार्यक्रम रामायण में राम का किरदार निभाने के लिए जानते हैं. 16वीं सदी की एक मस्जिद के खंडहर पर खड़े आंदोलन से निकली संघ परिवार की मंदिर की राजनीति के गढ़ उत्तर प्रदेश से गोविल चुनाव में खड़े हैं. इस चुनाव में राम के नाम पर वोट मांगने वालों में वे प्रमुख चेहरा हैं.
लेकिन बयानबाजी सच्चाई नहीं होती. सरकार की कमियों को धर्म से ढक देने से वह छिप नहीं जाती. भाजपा ने इसके बीज दशकों पहले बो दिए थे. उनके फल अब जाकर गोविल के रूप में मिल रहे हैं.
श्रीनिवासन ने चुनावी कैंपेन पर गोविल से बात की. इसके अलावा उन्होंने कैंपेन कर रहे भाजपा कार्यकर्ताओं से गोविल की उम्मीदवारी और राम को चुनाव का मुद्दा बनाने पर बात की. उन्होंने धर्म के नाम पर वोट मांगने की अपील के मामले में चुनाव आयोग के अधिकारियों से भी बात की. साथ ही एक आरएसएस कार्यकर्ता और विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता से मिले. इसके अलावा विहिप के मेरठ पदाधिकारियों से उनके जमीनी कामकाज के तरीकों पर भी नज़र डाली.
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