मणिपुर में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा समेत तीन पत्रकारों- सीमा गुहा, भरत भूषण और संजय कपूर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा, “संस्था की टीम ने राज्य में मई से जारी हिंसा को भड़काने की कोशिश की है. फैक्ट फाइंडिंग टीम दोनों समुदायों (कुकी और मैतेई) से मिले बिना गलत निष्कर्ष पर पहुंची है.”
प्रेस कॉन्फेंस को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि उन्होंने पहले ही फैक्ट फाइंडिंग टीम के सदस्यों को चेतावनी दी थी, “अगर आप जातीय हिंसा के बारे में जानना व छापना चाहते हैं, तो पहले घटनास्थल पर आइए और दोनों समुदायों से बातचीत करने के बाद कोई निष्कर्ष निकालिए. किसी एक समुदाय के लोगों से मिलकर निष्कर्ष निकालना भ्रमित कर सकता है.”
मालूम हो कि मणिपुर पिछले तीन महीने से जातीय हिंसा की आग में जल रहा है. राज्य में क्षेत्रीय समाचार पत्रों की कवरेज को समझने के लिए इजीआई की ‘फैक्ट फाइंडिंग टीम’ मणिपुर पहुंची थी. प्राप्त जानकारी के आधार पर शनिवार को संस्था ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की. रिपोर्ट में क्षेत्रीय मीडिया के कवरेज को देखते हुए दावा किया गया कि वह पूर्णतः ‘मैतेई मीडिया’ में तब्दील हो गया है. संघाई एक्सप्रेस, इंफाल फ्री प्रेस और द फ्रंटियर एक्सप्रेस के आर्टिकल के आधार पर यह दावा किया गया. साथ ही रिपोर्ट में सरकार और नौकरशाही को भी कुकी समुदाय के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया गया.
न्यूज़लॉन्ड्री ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की पूरी रिपोर्ट प्रकाशित की है.
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने मणिपुर सरकार के इस कदम की निंदा की है. पीसीआई ने सोशल मीडिया साइट एक्स (ट्विटर) पर निंदा पत्र पोस्ट किया. लिखा कि प्रेस क्लब ऑफ इंडिया मणिपुर सरकार द्वारा हिंसा की कवरेज को लेकर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की अध्यक्ष समेत तीन पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की निंदा करता है.
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