पतंजलि को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है. साथ ही कोर्ट ने बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद से कहा कि भ्रामक विज्ञापन बंद करें और झूठे इलाज का दावा करने वाले हर उत्पाद पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा.
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार शीर्ष अदालत ने यह फैसला भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा दायर एक याचिका पर विचार करते हुए सुनाया.
हालांकि यह बड़ी ख़बर आज के अखबारों से गायब है. इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि बाबा रामदेव की कंपनी अखबारों को करोड़ों रुपए के विज्ञापन देती है. हमने हिंदी और अंग्रेजी के कुछ अखबारों की पड़ताल की, जिनमें यह ख़बर नदारद है.
हिंदी के प्रमुख अख़बारों की बात करें तो अमर उजाला, दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान, और जनसत्ता से यह ख़बर पहले पन्ने से बिल्कुल गायब है. भीतर के पन्नों पर भी इस खबर को छोटी सी ख़बर के रूप में समेट दिया है. वहीं दैनिक भास्कर अखबार ने इस खबर को पहले पन्ने पर तो जगह दी है लेकिन सिर्फ एक कॉलम में प्रकाशित किया है. जिसका शीर्षक है - ' पतंजलि दवाओं के बारे में गलत दावे बंद करे : कोर्ट'.
वहीं अंग्रेजी अख़बारों की बात करें तो इंडियन एक्सप्रेस ने “SC cautions Patanjali against making ‘false’ claims about its medicines in ads” हेडलाइन के साथ 12वें पन्ने पर जगह दी है. हिंदुस्तान टाइम्स अख़बार ने इस खबर को “Patanjali pulled up by Supreme Court over its misleading ads” हेडलाइन के साथ (जैकेट पेज) पन्ने पर छोटी सी खबर के रूप में समेट दिया है, और इसी खबर को 11वें पन्ने पर प्रकाशित किया है. जबकि ‘द हिन्दू’ ने इस खबर को प्रकाशित ही नहीं किया है.
यानी देखा जाए तो इस ख़बर को ज्यादातर अखबारों ने पहले पन्ने पर जगह देना ही जरूरी नहीं समझा. जबकि ये अपने आप में एक बड़ी बात है कि कोरोना टाइम में जब लोग अपनी जान गवां रहे थे तब बाबा रामदेव अपने प्रोडक्ट का झूठा प्रचार कर रहे थे. और इस प्रचार में केंद्रीय मंत्री से लेकर कई अन्य भारतीय जनता पार्टी के नेता भी शामिल थे.
मालूम हो कि 2020 में कोविड के दौरान बाबा रामदेव ने कोरोना वैक्सीन और एलोपैथी का उपहास बनाते हुए ‘कोरोनिल’ के लॉन्च के दौरान उन्होंने दावा किया था कि उनकी आयुर्वेद कंपनी पतंजलि दवारा बनाई गई ‘कोरोनिल’ और ‘स्वसारी’ से कोरोना का इलाज किया जा सकता है. बाबा रामदेव द्वारा करोनिल के लॉन्च के दौरान केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी सहित भाजपा के कई अन्य नेता भी मौजूद थे, जिन्होंने बाद में कोरोनिल का दावा गलत साबित होने पर पलड़ा झाड़ लिया था.
बता दें कि इसको लेकर न्यूज़लॉन्ड्री ने भी रिपोर्ट की थी. जिसका शीर्षक है 'भारत सरकार और पतंजलि: महामारी के प्रकोप में भ्रम की सौदेबाजी'. इस खबर में हमने बताया था कि भारत सरकार कोरोनिल को कोरोना की दवाई नहीं मानती लेकिन उसके कदमों से बार-बार यह संदेश गया कि कोरोनिल से कोरोना का इलाज संभव है.
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