Get all your news in one place.
100’s of premium titles.
One app.
Start reading
Newslaundry
Newslaundry
National
अतुल चौरसिया

हिंडनबर्ग जिन्न की चपेट में सेबी प्रमुख माधवी बुच और विनेश फोगाट को सलामी

यह टिप्पणी का दो सौवां एपिसोड है. यहां तक पहुंचाने के लिए आप सभी दर्शकों का बहुत सारा शुक्रिया, प्यार और आभार. आपके लाइक, शेयर और सब्सक्रिप्शन के बिना यह संभव नहीं था. हमें आपके समर्थन की जरूरत है ताकि विज्ञापन मुक्त पत्रकारिता का यह सफर जारी रहे.

विनेश फोगाट ओलिंपिक कुश्ती के फाइनल में पहुंचने के बाद डिसक्वालिफाई हो गई. उनका वजन तय मानक से सौ ग्राम ज्यादा निकला. इस तरह भारत एक शर्तियां मेडल पाने से चूक गया. भारत पदक चूक गया लेकिन इस दौरान विनेश फोगाट के प्रदर्शन पर देश-विदेश से समर्थन और संवेदना की बाढ़ देखने को मिली. यह प्यार किसी भी मेडल से ज्यादा कीमती है. बीते कुछ साल विनेश के लिए बहुत कठिन रहे हैं. वो एक ऐसी सत्ता से टकरा कर ओलिंपिक तक पहुंची थी, जिसने उनके मान-सम्मान की धज्जी उड़ाई थी. विनेश इस पीढ़ी की आदर्श हिंदुस्तानी महिला हैं, जिनसे भारत की पीढ़ियों वास्तव में प्रेरणा ले सकती हैं. विनेश फोगाट के लिए इस टिप्पणी में हमने एक खास कविता लिखी है, आप भी सुनें.

हिंडनबर्ग रीसर्च एक बार फिर एक नई रिपोर्ट लेकर आया है. इस बार आरोप के दायरे में सेबी की चेयरपर्सन माधवी बुच हैं. आरोप है कि उनका और उनके पति धवल बुच का उसी ऑफशोर फंड में करोड़ों का निवेश था, जिसे गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी चलाते थे. आरोप है कि माधबी बुच ने अडाणी समूह से इसी वित्तीय रिश्ते के कारण उनके खिलाफ जांच में रूचि नहीं दिखाई. विस्तार से जानने के लिए टिप्पणी का पूरा एपिसोड देखें.

Sign up to read this article
Read news from 100’s of titles, curated specifically for you.
Already a member? Sign in here
Related Stories
Top stories on inkl right now
One subscription that gives you access to news from hundreds of sites
Already a member? Sign in here
Our Picks
Fourteen days free
Download the app
One app. One membership.
100+ trusted global sources.