ऑल्ट न्यूज़ के संस्थापक मोहम्मद जुबैर के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने एक पत्र जारी किया है. ये पत्र जुबैर के खिलाफ उत्तर प्रदेश में उनके सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर एक नया मामला दर्ज होने की खबरों के कुछ दिनों बाद आया है. पत्र में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने पुलिस कार्रवाई की निंदा की है.
इन अंतरराष्ट्रीय संगठनों में रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स, इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट, इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स, एमनेस्टी इंटरनेशनल, इंडेक्स ऑन सेंसरशिप, पेन इंटरनेशनल, डिजिटल राइट्स फाउंडेशन, ह्यूमन राइट्स वॉच और कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स जैसे शामिल हैं. पत्र में कहा गया है, “जुबैर लंबे समय से भारतीय अधिकारियों द्वारा उनकी फैक्ट चेकिंग, पत्रकारिता और सोशल मीडिया के उपयोग के लिए निशाना बनाए जा रहे हैं”.
दरअसल, जुबैर के खिलाफ़ 8 अक्टूबर को गाजियाबाद पुलिस ने उनके एक्स पोस्ट को लेकर एफआईआर दर्ज की. जुबैर ने पोस्ट में विवादास्पद पुजारी यति नरसिंहानंद का एक वीडियो क्लिप दिखाया था. इस वीडियो में नरसिंहानंद कथित तौर पर इस्लाम के खात्मे का आह्वान करते हुए दिख रहे हैं. यह वीडियो 29 सितंबर को गाजियाबाद के लोहिया नगर में आयोजित एक कार्यक्रम में रिकॉर्ड किया गया था.
जुबैर के खिलाफ़ ताज़ा एफ़आईआर में आईटी अधिनियम की धारा 66 और भारत न्याय संहिता की धारा 152 के तहत मामला दर्ज किया गया है. धारा 152 को पूर्व में भारतीय दंड संहिता में शामिल "देशद्रोह का अपडेटेड और मॉडर्न वर्जन" कहा जाता है.
जुबैर के खिलाफ देशद्रोह की धारा का इस्तेमाल हुआ है. इस बात का खुलासा इलाहाबाद हाईकोर्ट में तब हुआ जब उन्होंने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी. इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए यह रिपोर्ट पढ़ें.
पत्र में कहा गया है कि बीएनएस की धारा 152 के तहत आरोपित लोगों को "आजीवन कारावास या सात साल तक की कैद" हो सकती है और अनुच्छेद 14 में "2010 से 2021 के बीच देशद्रोह के आरोप में 13,000 लोगों को शामिल किया गया है", जिसमें पत्रकार, प्रदर्शनकारी और सोशल मीडिया उपयोगकर्ता शामिल हैं. इसमें कहा गया है कि बीएनएस के तहत संशोधित कानून "स्वतंत्र अभिव्यक्ति की रक्षा के लिए कुछ सुरक्षा उपायों के साथ कहीं अधिक व्यापक प्रावधान का सुझाव देता है".
बयान में कहा गया है, "जून 2022 में, उन्हें राष्ट्रीय टीवी पर भाजपा प्रवक्ता द्वारा की गई टिप्पणियों और 2018 में पोस्ट किए गए एक अन्य व्यंग्यात्मक ट्वीट से संबंधित ट्वीट के लिए दिल्ली और उत्तर प्रदेश राज्य पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था."
इसमें कहा गया है कि जुबैर के खिलाफ कुल छह एफआईआर दर्ज की गईं, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी. "जुबैर की पत्रकारिता और मीडिया की स्वतंत्रता के प्रति प्रतिबद्धता के परिणामस्वरूप, उन्होंने 2023 इंडेक्स ऑन सेंसरशिप फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन अवार्ड्स में पत्रकारिता पुरस्कार जीता."
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